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तीन बल
युक्तियों और तकों द्वारा बड़े बड़े वादियों का गर्व दूर हुआ है।
५. वचन बल की ही ताकत है कि एक वक्ता व गायक अपने भाषण या गायन से श्रोताओं को मुग्ध करके अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। जिनके वचनबल नहीं वह मोक्षमार्ग की प्राप्ति करने में अक्षम होता है।
मनोबल६. मनोबल में वह शक्ति है जो अनन्त जन्मार्जित कलङ्कों की कालिमा को एक क्षण में पृथक कर देती है। ___७. जिससे आत्महित की सम्भावना है उसे कष्ट मत दो। आत्महित का मूल कारण सद्विचार है और उसका उत्पादक मन है, अतः उसे प्रत्येक कार्य करने से रोको। यदि वह दुर्बल हो जायगा तो आत्महित करने में अक्षम हो जाओगे।
८. सब दोषों में प्रबल दोष मन की दुर्बलता है । जिनका मन दुर्बल है वे अति भीरु हैं और भीरु मनुष्य के लिए संसार में कोई स्थान नहीं।
६. मनोबल की विशुद्धता का ही परिणाम है कि जिसके द्वारा यह प्राणी शुभ भावनाओं द्वारा अनुपम तीर्थङ्कर प्रकृति का बन्धकर संसार का उद्धार करने में समर्थ होता है।
१०. अन्तरङ्ग तप में सर्वप्रथम मनोबल की बड़ी आवश्यकता है। मनोबल उसी का प्रशंसनीय है जो प्रपञ्च र बाह्य पदार्थों के संसर्ग से अपनी आत्मा को दूर रखता है।
११. जिनके तीनों बल श्रेष्ठ हैं वे इस लोक में सुखी हैं ओर परलोक में भी सुखी रहेंगे।
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