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वर्णी-वाणी
६३. आत्महित का कारण ज्ञान है । हम लोग केवल ऊपरी बातें देखते हैं जिससे आभ्यन्तर का पता नहीं लगता । आभ्यन्तर के ज्ञान बिना अज्ञान दूर हो ही नहीं सकता । यदि कल्याण चाहो तो ज्ञानार्जन को उतना ही आवश्यक समझो जितना कि भोजन आवश्यक समझते हो ।
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