________________
भगवान महावीर समय
बिहार प्रान्त के कुन्दनपुर नृपति सिद्धार्थ की आँखों का तारा, त्रिशला का दुलारा बालक महावीर, कौन जानता था मूकों का संरक्षक, विश्व का कल्याण पथ दर्शक बनेगा ?
ईशवी सन् के ५६८ वर्ष पूर्व जब भगवान् श्री पार्श्वनाथ के निर्वाण पश्चात् कोई धर्म प्रवर्तक न रहा, स्वार्थीजन अपनी स्वार्थ साधना के लिये अपनी ओर, अपने धर्म की ओर दूसरों को आकर्षित करने के लिए यज्ञ बलि वेदियों में जीवों को जला देना भी धर्म बताने लगे, अश्वमेध, नरमेध जैसे हिंसात्मक कार्यों को भी स्वर्ग और मोक्ष का सीधा मार्ग कह कर जीवों को भुलावे में डालने लगे, संसार श्मसान प्रतीत होने लगा, एक रक्षक की ओर जनता आशा भरी दृष्टि लिए देखने लगी, यही वह समय था जब भगवान् महावीर ने भारत वसुन्धरा को अपने जन्म से सुशोभित किया। बाल जीवन
सर्वत्र आनन्द छा गया, राज परिवार एक कुल दीपक और विश्व एक अलौकिक दिव्य ज्योति प्राप्त कर अपने आपको घन्य समझने लगा। बालक महाबीर दोयजचन्द्र के समान
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org