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मेरी श्रद्धा
मेरी तो यह श्रद्धा हो गई है कि इस संसार में जितने भी प्राणी हैं और वे जो कुछ करते हैं आत्म शान्ति के लिये करते हैं । संसार में स्त्री पुरुष का सबसे अधिक स्नेह देखा जाता है । पुरुष स्त्री से स्नेह करता है और स्त्री पुरुष से स्नेह करती है परन्तु अन्तस्थ रहस्य का विचार करने पर यथार्थ कारण का पता लग जाता है । स्त्री की कामेच्छा के संसर्ग से शान्त होती है और पुरुष की कामलिप्सा स्त्री द्वारा शान्त होती है। उसके लिये ही उन दोनों में परस्पर स्नेह रहता है अन्यथा उन दोनों की कामानि शान्त होने का और कोई उपाय नहीं ।
लोक में प्रत्येक मनुष्य ने प्रायः यह दृश्य देखा होगा कि जब बाप छोटे बालक को खिलाता है तब उसके मुख का चुम्बन करता है । बालक के कपोल अति कोमल होते हैं उनसे जब पिता की दाढ़ी मूँछ के बालों का संसर्ग होता है तब पिता प्रसन्न होता हैं, हंसता है, बालक के मुख को बार-बार चुम्बन करता है तथा कहता है मैं बालक को रमा रहा हूँ । परन्तु विचारा बालक मुख को सकोड़ता है, उसके मुख के पंजे से मुक्त होना चाहता है, वह कठोर स्पर्श से दुखी हो जाता है पर अशक्तता वश वेदना से उन्मुक्त होने में असमर्थ रहता है। लोग समझते
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