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वर्णी-वाणी
१९० समाज में ही ५६००००० छप्पन लाख साधु हैं जो कहने को तो साधु हैं परन्तु उनके कर्तव्यों का वर्णन किया जाय तो दिल दहल जायगा। इन साधुओं के लिये यदि-"संसार में शूरवीरता है" यह पाठ पढ़ाया जाय तो कोई अनर्थ नहीं । तब यह साधुसंघ शूरसंघ बनकर देश पर आँख उठानेवाले शत्रुओं को पराजित कर एक दिन कम शत्रु का भी ध्वंस कर दुनियाँ में चकाचौंध कर दें।
८. ऐसे ईश्वर को मानकर हम क्या करें जिससे हमें कायरता की शिक्षा मिलती है। क्यों न हम उस तत्त्व को स्वीकार करें जो व्यक्ति स्वातंत्र्य और उसकी परिपूर्णता का सूचक है। ____६. यह मानना कि हम कुछ नहीं कर सकते सबसे बड़ी कायरता है। इसे त्यागो और आत्मपुरुषार्थ को जागृत करो । फिर देखोगे कि तुम्हारी उन्नति तुम्हारे हाथ में है।
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