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संकोच १. संकोच एक ऐसी कषाय है जो आत्मघात का साधक है। जिन्होंने यह कषाय नहीं त्यागी वह धर्म के पात्र नहीं।
२. संकोच करना महापाप है। ३. संकोच का फल आत्म घात है। ४. जहाँ संकोच है, वहीं अनर्थों का घर है।
५. संकोच एक प्रकार की दुर्बलता है और वह दुर्बलता ही अनर्थों की जड़ है।
६. विषय कषाय के सेवन में संकोच करो धर्म के पालन करने में संकोच का क्या काम ?
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