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रामायण से शिक्षा प्रजा के परिपालक और प्राणों की बाज़ी लगाकर भी अपनी गृहिणी (धर्म पत्नी) के रक्षक बनो।
१०. उर्मिलासी सुन्दरी का मोह छोड़कर श्री राम के साथ जङ्गल में नङ्ग पैर भटकने वाले, भावज होनेपर भी सीता को माँ मानने वाले श्री लक्ष्मण की तरह बन्धुवत्सल और सदाचारो बनो।
११. माँ के षड्यन्त्र से अनायास प्रात होनेवाले राज्य को भो ठुकरा देनेवाले श्री भरत को तरह भाई के भक्त बनो ।
१२. श्री शत्रुघ्न की तरह भाइयों के आज्ञाकारी रहो।
१३. सती सीतासी पतिव्रता, कर्तव्यपरायणा, पति पथानुगामिनी और सहनशीलता की मूर्ति बनो।
१४. चौदह वर्ष तक पतिवियोग सहनेवाली उर्मिला सी सच्ची त्यागमूर्ति बनो।
१५. माण्डवी और श्रुतकीर्ति जैसी सुयोग्य वधू बनो। १६. लवकुश जैसे निर्भीक और तेजस्वी बनो । १७. हनुमान जैसे स्वामिभक्त और साहसी बनो ।
१८. मन्दोदरी जैसो पति की शुभचिन्तिका नारी की सम्मति की अवहेलना कर अपना सर्वस्व स्वाहा मत करो।
१६. माया से सुवर्ण का मृग रूप धारण कर रामको लुभाने वाले मरीचि की तरह दिखावटी वेष धारण कर दुनियां को मत ठगो।
२०. रावण जैसे अन्यायो बनकर अपयश के भागी मत बनो।
२१. सर्वशक्तिमान लङ्केश्वर दशानन ( रावण ) भी धराशायी हो गया, मेघनाथ जैसा बलिष्ठ योद्धा भी काल के गालमें चला गया, अतः दुरभिमान मत करो।
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