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वर्णी-वाणी ये लोग तो पलंग पर पड़े पड़े आराम करते ही हैं। ऐसा ही किया, एक मरीज को वह रोग सौंप दिया। दूसरे दिन जब डाक्टर आये तब उन्होंने मरीज से पूछा-"तुम्हारा क्या हाल है ?" मरोज ने उत्तर दिया"क्यों?"डाक्टर ने उसे अस्पताल से बाहर किया,रोगी की समझ में आ गया कि वास्तव में "क्यों" रोग तो एक खतरनाक रोग है. वह भी वापिस कर आया । अबकी बार उसने सोचा अदालती आदमी बहुत टंच होते हैं, इसलिये उन्हीं को यह रोग दिया जाय, उसने ऐसा ही किया । परन्तु जब वह अदालतो आदमी मजिस्ट्रेट के सामने गया, मजिस्ट्रेट ने कहा-"तुम्हारी नालिश का ठीक ठीक मतलब क्या है ?" आदमी ने उत्तर दिया क्यों ? मजिस्ट्रेट ने मुकदमा खारिज कर उसे अदालत से निकाल दिया।
इस उदाहरण से सिद्ध है कि कुतर्क से काम नहीं चलता। अतः आवश्यक है कि मनुष्य दूसरे के प्रति कुतर्क न करें, अपितु श्रद्धा रखें जिससे कि उसके हृदय में विनय जैसा गुण जागृत हो।
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