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सत्संगति (सत्समागम) ८. विकल्पों का अभाव कषाय के अभाव में, कषायों का अभाव तत्वज्ञान के सद्भाव में, और तत्त्वज्ञान का सद्भाव साधु समागम से होता है।
६. जिस तरह दीपक से दीपक जलाया जाता है उसी तरह महात्माओं से महात्मा बनते है। अतः महात्माओं के सम्पर्क ( साधु समागम ) से एक दिन स्वयं महात्मा हो जाओगे ।
१०. सत्संग का लाभ पुण्योदय से होता है, और पुण्योदय मन्द कषाय से होता है।
११. विचार परम्परा को उत्तम रखने का कारण अन्तः करण को शुद्धि है, वह शुद्धि बिना विवेक के नहीं हो सकती, वह विवेक भेद विज्ञान के विना नहीं हो सकता और वह भेदविज्ञान विना सत्समागम के नहीं हो सकता।
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