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वर्णी-वाणी
घुसा मार दिया वह उसका चूंसा काटने को तैयार हो गया पर इससे क्या मिला ? चूसा मारने का जो निमित्त है उसे दूर करना था।
४. क्रोध में यह मनुष्य कुक्कुर वृत्ति पर उतारू हो जाता है। कोई कुत्ते को लाठी मारता है तो वह लाठी को दाँतो से चबाने लगता है पर सिंह बन्दूक की ओर न झपट कर बन्दूक मारने वाले की ओर झपटता है। विवेको मनुष्य की दृष्टि सिंह को तरह होती है वह मूल कारण को दूर करने का प्रयत्न करता है । ऋगज हम क्रोध का फल प्रत्यक्ष देख रहे हैं लाखों निरपराध प्राणी मारे गये और मारे जा रहे हैं। इसलिए क्षमा का वह जल आवश्यक है जो क्रोध ज्वाला का शमन कर सके।
५. क्रोध शान्ति के समय कौन-सा अपूर्व कार्य नहीं होता मोक्ष मार्ग में प्रवेश होना ही अपूर्व कार्य है, शान्ति के समय उसकी प्राप्ति सहज ही हो सकती है। आप लोग प्रयत्न कीजिये कि मोक्ष-मार्ग में प्रवेश हो और संसार के अनादि बन्धन खुल जायँ ।
६. जीवन के प्रारन्भ में जिसने क्षमा धारण नहीं की वह अन्तिम समय क्या क्षमा करेगा ? मैं तो आज क्षमा चाहता हूँ।
७. आज वाचनिक क्षमा की आवश्यकता नहीं है हार्दिक क्षमा से ही आत्मा का कल्याण हो सकता है । क्षमा के अभाव में अच्छे से अच्छे आदमी बरबाद हो जाते हैं। दरभंगा में दो भाई थे दोनों इतिहास के विद्वान थे एक बोला कि आला पहले हुआ है दूसरा बोला कि ऊदल, इसीसे दोनों में लड़ाई
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