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________________ क्षमा १२९ हो पड़ी आखिर मुकदमा चला और जागीदार से किसान की हालत में आ गये । क्रोध से किसका भला हुआ है ? ८. क्षमा सर्व गुणों की भूमि है इसमें सब गुण सरलता से विकसित हो जाते है । क्षमा से भूमि की शुद्धि होती है, जिसने भूमि को शुद्ध कर लिया उसने सब कुछ कर लिया। एक गाँव में दो आदमी थे एक चित्रकार दूसरा अचित्रकार । अचित्रकार चित्र बनाना तो नहीं जानता था पर था प्रतिभाशाली। चित्रकार बोला कि मेरे समान कोई चित्र नहीं बना सकता, दूसरे को उसको गर्वोक्ति सह्य नहीं हुई उसने झट से कह दिया कि मैं तुझसे अच्छा चित्र बना सकता हूँ, विवाद चल पड़ा। अपना अपना कौशल दिखाने के लिये दोनों तुल पड़े। तय हुआ कि दोनों चित्र बनावें फिर अन्य परीक्षकों से परीक्षा कराई जाय । एक कमरे की आमने सामने की दोवालों पर दोनों चित्र बनाने को तैयार हुए। कोई किसी का चित्र न देख सके इसलिये बीच में पर्दाडाल दिया गया। चित्रकार ने कहा कि मैं १५ दिन में चित्र तैयार कर लूँ गा इतने ही समय में तुझे भी करना होगा । उसने कहा कि मैं पाने पन्द्रह दिन में तैयार कर दूंगा घबड़ाते क्यों हो। चित्रकार चित्र बनाने में लग गया और दूसरा दीवाल साफ करने में । उसने पन्द्रह दिन में दीवाल इतनी साफ कर दी कि काँच के समान स्वच्छ हो गई। पन्द्रह दिन बाद लोगों के सामने बीच का परदा हटाया गया चित्रकार का पूरा चित्र उस स्वच्छ दीवाल में इस तरह प्रतिविम्बित हो गया कि उसे स्वयं अपने मुंह से कहना पड़ा कि तेरा चित्र अच्छा है। क्या उसने चित्र बनाया था ? नहीं, केवल जमीन ही स्वच्छ की थी पर उसका चित्र बन गया और प्रतिद्वन्दी की अपेक्षा अच्छा रहा। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003997
Book TitleVarni Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1950
Total Pages380
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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