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वर्णी-वाणी
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११ परोपकार के लिये उत्सर्ग आवश्यक है, उत्सर्ग के लिये उदारता आवश्यक है, और उदारता के लिए संसार से भीरता आवश्यक है ।
१२. गृहस्थावस्था में अपने अनुकूल व्यय करो तथा अपनी रक्षा में जो व्यय किया जावे उसमें परोपकार का ध्यान रखो क्योंकि पर पदार्थ में सबका भाग है ।
१३. " हम परोपकार करते हैं" यह भावना न होनी चाहिए | इस समय हमारे द्वारा ऐसा ही होना था यही भावना परोपकार में फलदायक होगी ।
१४. जहाँ तक हो सके सभी को ऐसा नियम करना चाहिए कि लाभ का दशांश द्रव्य परोपकार में लगे ।
१५. भगवान महावीर और बुद्ध राजसी ठाठ और स्वर्ग जैसे सुखों को छोड़कर दूसरों को उपदेश देते फिरे यह उन मूक प्राणियों की रक्षा और मानवता के उत्थान के लिये हो तो था, तब क्या परोपकार नहीं हुआ ? महात्मा गांधी, पं० जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, देशरत्न डा० राजेन्द्रप्रसाद और मौलाना अबुलकलाम आजाद प्रभृति नेताओं ने जो कष्ट सहन किये, अपना सर्वस्व छोड़कर देश की स्वतन्त्रता के लिये जो अनेक प्रयत्न किये वह भी परोपकार ही है अतः जहाँ तक बने स्वोपकार के साथ परोपकार करना मत भूलो।
१६. अपने स्वार्थ के लिये पर का अपकार करना निरी पशुता है।
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