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दान
कि समयानुकूल इस दानपद्धति का प्रसार करें। भारतवर्ष में दान को पद्धति बहुत हैं किन्तु विवेक की विकलता के कारण दान के उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो पाती । आशा है कि हमारा धनिक वर्ग उक्त बातों पर ध्यान देते हुए पद्धति के अनुकूल दान देकर ही सुयश का भागी बनेगा।
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