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वर्णी-वाणी
७. अतिथि की सेवा करना । ८. मार्ग भूले हुए प्राणी को मार्ग पर लाना। ६. निर्धन व्यापारहीन को व्यापार में लगाना ।
१०. जो कुटुम्ब-भार से पीड़ित होकर ऋण देने में असमर्थ हैं उन्हें ऋण से मुक्त करना ।
११. अन्यायी मनुष्यों के द्वारा सताये जानेवाले मारे जानेवाले दीन, हीन, मूक प्राणियों को रक्षा करना । आध्यात्मिक दान
जिस तरह लौकिक दान महत्वपूर्ण है उसी तरह आध्यात्मिक दान भी महत्वपूर्ण और श्रेयस्कर है, क्योंकि आध्यात्मिक दान स्वपर-कल्याण-महल की नीव है। वर्तमान में जिन आध्यात्मिक दानों की आवश्यकता है वे ये हैं
१. अज्ञानी मनुष्यों को ज्ञान दान देना।
२. धर्म में उत्पन्न शङ्काओं का तत्त्वज्ञान द्वारा समाधान करना। ... ३. दुराचरण में पतित मनुष्यों को हित-मित-प्रिय वचनों द्वारा सान्त्वना देकर सुमार्ग पर लाना ।
४. मानसिक पीड़ा से दुखी जीवों को कर्मसिद्धान्त की प्रक्रिया का अवबोध कराकर शान्त करना।
५. अपराधियों को उनके अज्ञान का दोष मानकर उन्हें क्षमा करना।
६. सभी का कल्याण हो, सभी प्राणी सन्मार्गगामी हो, सभी सुखी समृद्ध और शान्ति के अधिकारी हों ऐसी भावना करना। ... ७. जो धर्म में शिथिल हो गये हों उनको शुद्ध उपदेश देकर दृढ़ करना।
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