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वर्णी-वाणी प्रसारकी इच्छासे देते हैं उनके आत्म-गुण सुखके घातक कर्मकी हीनता तो दूर रही प्रत्युत बन्ध ही होता है। अतएव ऐसे दान देने वाले जो मानवगण हैं उनका चरित्र उत्तम नहीं । परन्तु जो मनुष्य लोभके बशीभूत होकर एक पाई भी व्यय करने में संकोच करते हैं उनसे ये उत्कृष्ट हैं। .. दान के पात्र ___ ऊसर जमीन में, पानी से लबालब भरे तालाब में, सार
और सुगन्धि हीन सेमर वृक्षों के जङ्गल में तथा दावानल में व्यर्थ ही धधकने वाले बहुमूल्य चन्दन में यदि मेघ समान रूप से वर्षा करता है तो भले ही उसकी उदारता प्रशंसनीय कही जा सकती है परन्तु गुणरत्न पारखी वह नहीं कहा जा सकता। इसी तरह पात्र, अपात्र की आवश्यकता और अनावश्यकता को पहिचान न कर दान देने वाला उदार भले ही कहा जाय परन्तु वह गुण विज्ञ नहीं कहला सकता। इसलिए साधारणतः पात्र अपात्र का विचार करने के लिए पात्र मनुष्यों को इन तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है
१. इस जगत में अनेक प्रकारके मनुष्य देखे जाते है। कुछ मनुष्य तो ऐसे हैं जो जन्मसे ही नीतिशाली अर धनाढ्य है।
२. कुछ मनुष्य ऐसे होते हैं जो दरिद्रकुलमें उत्पन्न हुए हैं। उन्हें शिक्षा पानेका, नोतिके सिद्धान्तोंके समझानेका अवसर हो नहीं मिलता।
३. कुछ मनुष्य ऐसे हैं जिनका जन्म तो उत्तम कुलमें हुआ है किन्तु कुत्सित आचरणों के कारण अधम अवस्थामें कालयापन कर रहे हैं।
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