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५१९. शेष सुरेश नरेश रहैं तोहि पार (भूध०) ५२०. शोभित प्रियंग अंग देखें (भूध०) ५२१. श्रावक कुल पायो अपने (जिने०) ५२२. श्री गुरु यों समझाई (जिने०) ५२३. श्री गुरु हैं उपगारी (भाग०) ५२४. श्री जिननाम आधार सार भजि (द्यान०) ५२५. श्री जिनपूजन को हम आये (बुध०) ५२६. श्री जिनवर पद ध्या_ (भाग०) ५२७. श्री जी तरनहारा थे तो (बुध०) ५२८. श्री जी तो आज देखो भाई (जिने०) ५२९. श्री वीर की धुन में जब तक (भूरा०) ५३०. सकल पाप संकेत आपदा हेत (बुध० ) ५ ३१. सखि पूजों मन वच श्री जिनंद (द्यान०) ५३२. सतगुरु सहज स्वभाव सुझायों (भंवर) ५३३. सत्ता रंगभूमि में नटत ब्रह्म नर राय (भाग०) ५३४. सब मिलि देखो हेली म्हारी (दौल०) ५३५. सब विधि करन उतावला (भूध०) ५३६. सम आराम विहारी साधजन सम (भाग०) ५३७. समझ कर देख ले चेतन (शिव०) ५३८. समझ मन स्वारथ का (ज्योति०) ५३९. समझत क्यों नहीं वानी (द्यान०) ५४०. समझाओं जी आज कोई करुनाधरन (भाग०) ५४१. सम्यक्ज्ञान बिना तेरा जनम (अज्ञात) ५४२. सहज अबाध समाध धाम (भाग०) ५४३. सांची तो गंगा यह वीतराग वानी (भाग०) ५४४. सांचों देव सोई जामैं दोष को न लेश (भूध०)
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लश (भूध०)
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