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(४७७) बधाई भई हो तुम निरखत जिनराज बधाई भई हो ॥ टेक ॥ पातक गये भये सब मंगल, भेंटत' चरन कमल जिनराई ॥ बधाई. ॥ १ ॥ मिटे मिथ्यात भरम के बादर, प्रगटन आतम रवि अरु नाई। दुरबुध' चोर भजे-जिय जागे, करन लगे जिन धर्म कमाई ॥ बधाई. ॥ २ ॥ दृग सरोज फूले दरसनतें तुम करुना कीनी सुख दाई । भाषि अनुव्रत महाविरत को शिवराह बताई ॥ बधाई. ॥ ३ ॥
महाकवि दौलतराम
. (४७८) वामा° घर बजत बधाई, चलि देखि री माई ॥ टेक ॥ सुगुन रास जग आस भरन तिन, जाने पार्श्व जिनराई । श्री ही धृति कीरति बुद्धि लछमी, हर्ष अंग" न माई ॥ चलि. ॥१॥ वरन वरन मनि चूरि सची सब पूरत चौक सुहाई । हा हा हू हू नारद तुम्वर २ गावत श्रुति सुख दाई ॥ चलि. ॥२॥ तांडव नृत्य नटत हरिनट" तिन, नख नख सुरी नचाई । किन्नर कर-धर बीन बजावत दृगमन हर छबि छाई ॥चलि. ॥ ३ ॥ 'दौल' तासु प्रभु की महिमा सुर, गुरु पै कहिय न जाई । जाके जन्म समय नरकन में नारकि" सातापाई१६ ॥ चलि. ॥४॥
महाकवि बुधजन
(४७९) बधाई चन्द्रपुरी७ मैं आज ॥ बधाई. ॥ टेक ॥ महासेनसुत कुंवर जू राज लह्यौ सुख साज ॥बधाई. ॥१॥ सन्मुख नृत्य कारिनी नाचत, होत मुंदग९ आवाज ।। भेंट करत नृप देश देश के पूरत° सबके काज ॥ बधाई. ॥२॥ सिंहासन पै सोहत ऐसो ज्यों शशि नखत२२ समाज । नीति निपुन परजा को पालक 'बुधजन' को सिरताज ॥ बधाई. ॥ ३ ।। १. देखकर २. पाप ३. मिले ४. लालिमा ५. दुर्बुद्धि ६. कमल नयन ७. कहकर (अणुव्रत) ८. पंच महावत ९. मोक्ष का मार्ग १०. पार्श्वनाथ की मां ११. फूले न समाना १२. विभिन्न वर्गों के मणि चूरकर १३. एक प्रकार का बाजा १४. इन्द्र रूपी नट १५. नारकी जीव १६. सुख १७. बनारस के समीप का एक गाँव, जहां चन्द्रप्रभु का जन्म हुआ था १८. नर्तकी १९. एक बाजा २०. पूर्ण करते हैं २१. जिस प्रकार २२. तारों के बीच २३. प्रजा।
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