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सर्वविशुद्धज्ञानाधिकार शीतस्पर्शनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ९०, मैं उष्णस्पर्शनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ९१, मैं गुरुस्पर्शनाम कर्म के फल नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ९२, मैं लघुस्पर्शनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ९३, मैं मृदुस्पर्शनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ९४, मैं कर्कशस्पर्शनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ९५, मैं मधुररसनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ९६, मैं अम्लरसनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ९७, मैं तिक्तरसनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ९८, मैं कटुकरसनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ९९, मैं कषायरसनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० १००, मैं सरभिगन्धनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० १०१, मैं असुरभिगन्धनामकर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० १०२, मैं शुक्लवर्णनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० १०३, मैं रक्तवर्णनामकर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० १०४, मैं पीतवर्णनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० १०५, मैं हरितवर्णनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० १०६, मैं कृष्णवर्णनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० १०७, मैं नरकगत्यानुपूर्वीनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० १०८, मैं तिर्यग्गत्यानुपूर्वीनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० १०९, मैं मनुष्यगत्यानुपूर्वीनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ११०, मैं देवगत्यानुपूर्वीनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० १११, मैं निर्माणनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ११२, मैं अगुरुलघुनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ११३, मैं उपघातनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ११४, मैं परघातनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ११५, मैं आतपनाम कम्र के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ११६, मैं उद्योतनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ११७, मैं उच्छ्वासनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ११८, मैं प्रशस्तविहायोगतिनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ११९, मैं अप्रशस्तविहायोगति नाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० १२०, मैं साधारण शरीनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० १२१, मैं प्रत्येकशरीरनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० १२२, मैं स्थावरनाम कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० १२३, मैं बसनामकर्म
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