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समयसार
अब ज्ञानावरणादि आठ मूल कर्मों की जितनी भी उत्तरप्रकृतियाँ हैं उन सबके फल को भोगनेवाला मैं नहीं हूँ, यह क्रम से प्रकट करते हैं
मैं मतिज्ञानावरणीय कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप आत्मा का ही अनुभव करता हूँ १, मैं श्रुतज्ञानावरणीय कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप आत्मा का ही अनुभव करता हूँ २, मैं अवधिज्ञानावरणीय कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप आत्मा का ही अनुभव करता हूँ ३, मैं मन:पर्ययज्ञानावरणीय कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप आत्मा का ही अनुभव करता हूँ ४, मैं केवलज्ञानावरणीय कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप आत्मा का ही अनुभव करता हूँ ५, मैं चक्षुर्दर्शनावरणीय कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप ६, मैं अचक्षुर्दर्शनावरणीय कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ७, मैं अवधिदर्शनावरणीय कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ८, मैं केवलदर्शनावरणीय कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप०९, मैं निद्रादर्शनावरणीय कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप०१०, मैं निद्रानिद्रादर्शनावरणीय कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० ११, मैं प्रचलादर्शनावरणीय कर्म को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० १२, मैं प्रचलाप्रचलादर्शनावरणीय कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० १३, मैं स्त्यानगृद्धिदर्शनावरण कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० १४, मैं सातावेदनीय कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्य० १५, मैं असातावेदनीय कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० १६, मैं सम्यक्त्वमोहनीय कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप १७, मैं मिथ्यात्वमोहनीय कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० १८, मैं सम्यमिथ्यात्वमोहनीय कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप १९, मैं अनन्तानुबन्धी क्रोधकषायवेदनीय मोहनीय के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप २०, मैं अप्रत्याख्यानावरणीय क्रोधकषायवेदनीय मोहनीय के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० २१, मैं प्रत्याख्यानावरणीय क्रोधकषायवेदनीय मोहनीयकर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० २२, मैं संज्वलन क्रोधवेदनीयमोहनीय कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० २३, मैं अनन्तानुबन्धी मानकषाय वेदनीयमोहनीय कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० २४, मैं अप्रत्याख्यानावरणीय मानकषायवेदनीय मोहनीय कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० २५, मैं प्रत्याख्यानावरणीयमानकषायवेदनीय मोहनीयकर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० २६, मैं संज्वलनमानकषाय वेदनीय मोहनीय कर्म के फल को नहीं भोगता हूँ, चैतन्यस्वरूप० २७, मैं अनन्तानुबन्धी
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