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________________ कमाने के लिए परदेश जाना चाहता हूँ। मैं बहुत वर्षों बाद जब धन कमा कर लौटूंगा तब तुम मुझे पहचान भी सकोगी या नहीं । उसकी माता ने उत्तर दिया जिसने नौ महिने तक अपने पेट में धारण किया हो, क्या उस बच्चे को उसकी माँ भूल सकती है ? इसके बाद सांतल रात के समय अपनी पत्नी के पास गया। उससे कहा मैं बाहर परदेश जा रहा हूँ । यह जो तुमने कांचली/ब्लाऊज पहन रखा है, इसको उतारना नहीं । - - घरवालों से विदाई लेकर सांतल दूसरे प्रदेश की ओर चला । क्रमशः चलता हुआ सांतल सूर्यपुर नगर के निकट पहुँचा और विश्राम करने लगा। इधर, इस सूर्यपुर का अपुत्रिय राजा मौत की गोद में चला गया। वह पुत्ररहित था, इसलिए गद्दी पर बिठाने के लिए राज्याधिकारियों ने पंचदिव्यों को अभिमंत्रित कर हाथी को नगर में घुमाया और नगर के बाहर उस अभिमंत्रित हाथी ने सांतल के गले में फूलों की माला डाल दी। वह सांतल राजा बन गया। उसने अपना नाम सहस्रमल्ल घोषित किया। राज्यपालन करते हुए उसने १४ राजकुमारियों के साथ विवाह किया। राग-रंग में अपने पूर्व माता-पिता, भाईयों और पत्नी को पूर्ण रूप से भूल गया। कहा भी है : सर्वे, राज्ये जा नृणां मातापित्रादिसोदराः । न चित्ते स्मृतिमायान्ति यतोऽन्धं कुरुते रमा ॥ 1 अर्थात् - राज्य मिलने पर सब लोग अपने माता-पिता, भाईयों आदि को कभी याद भी नहीं करता, क्योंकि लक्ष्मी उसे अंधा बना देती है I Jain Education International संयोग से नगर में वर्षा बहुत कम हुई। लोग भूखे मरने लगे, इसलिए मंत्री ने राजाज्ञा प्राप्त कर तालाब खुदवाना प्रारम्भ किया । गरीबी से त्रस्त लोगों को काम पर लगाया और मजदूरी में आधा सेर अनाज, घी, और एक द्रमक, 'एक प्रकार का छोटा सिक्का' मिलता था । एक बार तालाब की खुदाई का कैसा काम चल रहा है, यह देखने शुभशीलशतक For Personal & Private Use Only 77 www.jainelibrary.org
SR No.003993
Book TitleShubhshil shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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