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पड़ाव था, वही चन्दन की लकड़ियाँ जलाकर सर्दी से बचने के लिए तपने लगे। इसी समय मेघ वहाँ आया। चन्दन को जलते देख कर उसने पूछा - आप लोग चन्दन को क्यों जला रहे हैं?
धूर्तों ने कहा - हमारे शहर में चन्दन कणों के भाव बिकता है, अत: हम तुलंवा कर खरीद लेते हैं।
मेघ ने मन में सोचा - मैंने तो चन्दन की कीमत सोने के भाव सुनी थी और इस समय यह लोग चन्दन की कीमत धान कण के हिसाब से बता रहे हैं। मुझे क्या करना चाहिए?
___ मेघ के उतरे हुए मुख को देख कर उन धूर्तों ने कहा - आपका मुख काला क्यों हो गया?
उस सरल स्वभावी मेघ ने चलते समय पिता ने जो हिदायत/शिक्षा दी थी, वह सब उनके सामने कह डाली।
तब उन धूर्तों ने कहा - यहाँ चन्दन बेचने के लिए कौन लाता है? यहाँ हम ही खरीददार हैं और हम ही बेचने वाले हैं।
मेघ ने कहा - यदि आप चन्दन खरीदें तो मैं आपके साथ व्यापार कर सकता हूँ।
धूर्तों ने कहा - हम चन्दन का क्या करें? हमारे घर भी बहुत चन्दन पड़ा हुआ है। यदि तुम चन्दन को इस नगर में बेचना चाहते तो बेचो, यहाँ के व्यापारी भी हमें ही देंगे।
वह सरल हृदय मेघ उन धूर्तों के चक्कर में आ गया और अनाज के भाव से बेचना स्वीकार कर लिया, सारे समान का बट्टा लगा दिया।
बट्टा लगाने के पश्चात् वह व्यापारी मेघ नगर में गया और वहाँ चन्दन को सोने के भाव में बिकता देख उसके चेहरे का पानी उतर गया। क्या करूँ? चन्दन तो मैं पहले ही बेच चुका। मेघ चिन्ताकुल होकर नगर में
शुभशीलशतक
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