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जगडू ने घर जाकर इस शिला के टुकड़े करवाये, उस शिला में से लाखों रुपये के रत्नों का भण्डार निकला। उस सम्पत्ति से वह समृद्धशाली बन गया। १९. भीषण अकाल में जगडू शाह की दानशालाएँ.
. भद्रेश्वर नगर में भाडल नाम का राजा राज्य करता था, वह पत्तन नगर के राजा बीसलराज की सेवा करता था। वहाँ सालग श्रेष्ठि अपनी पत्नी श्रीदेवी के साथ रहते थे। उनके तीन पुत्र थे - जगडू, पद्मराज और मल्ल। इनमें से जगडू सेठ ने समुद्र के किनारे अपना बाजार लगाया। एक दिन समुद्र में रहे हुए जहाज के एक मालिक ने जगडू सेठ के पास आकर कहा - 'हमारा एक जहाज मोम के माल से भरा हुआ है। यदि आपको रुचिकर हो तो खरीद कर ग्रहण कर लें।' यह सुनकर जगडू सेठ वहाँ गये और तोल-मोल करके मोम से भरे हुए जहाज को खरीद लिया। जहाज से माल उतार कर बैलगाड़ी में भर कर घर भिजवा दिया।
जगडू सेठ के कर्मचारियों ने सेठ के घर जाकर उसकी पत्नी को कहा – 'जगडू साधु ने मदन (मोम) खरीदा है, कहाँ उतारें?'
उस पर सेठ की पत्नी ने उत्तर दिया - 'हमारे घर में पाप/बन्धन/ कारक मदन को उतारने के लिए स्थान नहीं है।'
नौकरों ने भी वहाँ नहीं उतारा और घर के आंगन में नीम के वृक्ष के नीचे वह माल उतार दिया।
जगडू सेठ का अपनी पत्नी के साथ झगड़ा हुआ। पत्नी ने धिक्कारते हुए कहा कि 'मदन के व्यापार में बहुत पाप लगता है।' इस आपसी कलह से दोनों रुष्ट हो गये। जगडू अपनी पत्नी के साथ नहीं बोलता था और पत्नी जगडू के साथ नहीं बोलती थी। तीन माह बीत गये।
___ सर्दी का मौसम आ गया। सेठ जगडू के पुत्र ने सर्दी से बचाव के लिए अँगीठी जलाई और उसमें घास और लकड़ी डालने लगा। बालक ने
शुभशीलशतक
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