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प्राकृत भारती पुष्प-१८४
शुभशीलशतक
(प्रथम) {१६वीं शती के श्री शुभशीलगणि रचित पञ्चशतीप्रबोध-सम्बन्ध (प्रबन्ध-पञ्चशती)
पर आधारित १०० लघु-कथाएँ)
लेखन-सम्पादन
साहित्य वाचस्पति महोपाध्याय विनयसागर
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