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________________ चेतन्यकर्मचरित्र बिरुदवान॥पायोशीवगढरत्ननिधान ।। गुणअनंतकहिये कितनाम ।ए हविधितिष्टेंभातमराम ॥ ५ ॥ निश्चितपष्टिदेखिघटमाहिं ॥ सिकरूपतो हिफेरकबुनाहिं ॥ एसबकमहोहिंजमअंग ॥ तोनयोचेतनसरवंग ॥ ॥६॥ ज्ञानदरसनचारित्रमार || तुंशिवनायकतुंशिवसार ॥ तुमस रोषोनहीजगकोटा ॥ तुंसर्वकर्मजीतिशीबहोटा ॥ ७ ॥ दोहा गुनअनंतर्यहंसकें ॥ कहिविधिकहेवखांन ॥ थोरेमेकबकरनियें ॥ नविकलेहोपहिचान || || एहजिनबानिनदधीसम ॥ कविमतअंज लिमात्र ॥ तेतीहीकबुसंग्रही ॥ जेतोंहुनिजपात्र ॥ २॥ जिनवाणीजिहि जिटालखी ॥ आनीनिजघटमांहिं ॥ तिहिंप्राणीशिवसुखल ह्यो । या मेंधोखोनाहिं ॥ ३ ॥ चेतनराहारुकर्मकों ॥ करोचरित्रप्रकास ॥सु नतपरमसुखपाश्य ॥ कहेनगौतीदास ॥४॥ सवंतसत्तरबतीसके ॥ जे टसप्तमीआदि ॥ श्रीगुरुवारसुहावनो ॥ रचनाकहीअनादि ॥ ५ ॥ ॥ इतिचैतनचरित्रसंमाप्तः ॥ ॥अयश्रीअध्यात्मगीतालिख्यते ।। ढाल नमरगाथानी प्रणमाविश्वहितजैनवाणी | माहानंदतरूसिंचवाअमृतपाणी || माहा मोहपूरमेदवावजपाणी ॥ गहननवफंदबेदनकपाणी | ५ || चाल सुर तीमहिनानी ॥ व्यअनंतप्रकासकनासकतत्वखरूप ॥ आत्मतत्ववि बोधकसोधकसतचिदूप ॥ नयनिदेपप्रमाणेजाणेवस्तुसमस्त ॥ त्रिकर एटोगेषणमुजैनागमसुप्रसंस्त ॥ २ ॥ ढाल ॥ जेणेात्मासुधताएंपीग एयो ॥ तेणेलोकश्लोकनोनावजाएयो ॥ आत्मरमणीमुनीजगवदि Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003991
Book TitleDevchandraji krut Chovishi Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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