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चेतन्यकर्मचरित्र
हिंथिरकहूंले चलंत ॥ कहूंबाला खिरेकहुंमौनिहंत || कहुं समवसरणक त्रुटि होय ॥ कहुंचन दहराज प्रवांनलोय ॥ १२ ॥ इहिविधिएक मकरंतजार | नहिंजानिदेहि शिववधूच्ओर ॥ एतेपर निवलिक हेंव खांन ॥ मुजरीजवरीकेसमान ॥ १३ ॥ तनुं समयसमय में च्छायच्छाय | चेतन परदेसनथिततथाय ॥ यहुंएकसमटामहिकरतत्यागि || थिरहोनदेतन हिंदुतियलागि ॥ १४ ॥ तो सुनट पंच्यासी लगी रहंत ॥ निज निजथानिक नि जबल करंत ॥ चैतनपरदेसनघात होय ॥ तातेंज गपूज जिनेससोय ॥ १५ ॥ ॥ दोहा ॥
चेतन श्रीसंयोगपूर || एहविधिविलसेराज ॥ प्रबचिहूंकर्म नेहर कों ॥ ठाणेंएकइलाज ॥ १ ॥ श्री अयोगपूरदेस में || चैतनकरे प्रवेस ॥ लागोहरनसुकर्म्मकों ॥ तजिकेंजोगकलेस ॥ २ ॥ तवै सुवेदनकर्म्म नें ॥ दीनोरस निजाय || हुंहुंमेएकप्रगटन || जांने श्री जिनराय || ॥ ३ ॥ हंसपयानोंजगतमें ॥ कीनोंलघुथितिमांहिं ॥ हरिकेचारोंक कों ॥ सुधें शिवपूजाहिं ॥ ४ ॥ तिहांच्अनंत सुख साखते ॥ विलसेंचेतनरा || निराकार निरमल नयो । त्रिभुवनमुकुटकहाय ॥ ५ ॥
चोपाई
अविचल धांगव सेंसिवनूप ॥ ष्टगुणातमसि६ सरूप ॥ चरमदेहप रमित्त परदेस ॥ किंचित नोंथितिविनुंनेस ॥ १ ॥ पुरुषाकार निरंजन नाम ॥ कालच्यनंतहुंध्रुवविश्राम || नटाकदाचिहूंन विहोय ॥ सुखच्छ नंत विलसें नितसोटा || २ || लोकालोक प्रगटसबवेद || षटव्यगुणप रजामुनेद || गैयाकार सकल परभास ॥ सहजे सुखज्ञानजहिंपास || ॥ ३ ॥ षटगुनहांनिवृधिपरिमै || एकसमयमेच्छातमरमे ॥ उतपत व्यभ्रूवल कणजास ॥ एहिविधिथितेसबे सिवरास ॥ ४ ॥ जगतजातजिह
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