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चेतन्यकर्मचरित्र उलंघीनतावले ॥आगेद्यौसाधेहि ॥ ७॥कहेबहुतसंखेपसों ॥हविधिएगु णथान || पूरखवरननिविधसबे ॥ सममिले हुंगुणग्यान॥ ७ ॥जोफेर वेवरणनकरे॥लगेपनर्मतदोष। तातेंथोरेमेंकहें।महागुननिकेकोष ॥ए॥
॥पक्षमीबंद॥ जहांचेतनकरिसबकर्मदिन ॥ उपशांतमोहपुरलंवलिन ॥ आयो हादसमांहेंमहमहंत ॥ सबमोहकर्मदयकरीअनंत ॥१॥ जिहांयथार्थ प्रगट्योअनूप ॥ सुखमटासबवेदेनिजसरूप ॥ जिहांअवधिग्यानपूरन प्रकास ॥ केवलि फनिआयोनिकट नास ॥ २॥ सोबिनमोहपूरपगटना म ॥ तिहथानकविल से निजसुधाम || अबअंतराटासबकरेअंत॥ षोम सप्रकृतिषपायतंत ॥३॥ जिहांवातिटाचारोकर्मनास ॥ सबलोकालो कप्रत्यदनास ॥ प्रगट्योपनुकेवल अतिप्रकास॥ जिहांगुनअनंतकीनो निवास ॥ ४ ॥ प्रगटेनिजसंपतिसबप्रत्यद ॥ बिनसाकुल करमा ग्यानअद ॥ प्रगट्योजहांग्यानअनंतऐन ॥ प्रगट्याफुनिदरसअनंत नैन ॥ ५॥ प्रगट्योजहांवीर्यअनंतजोर ॥ प्रगट्योसुखशक्तिअनंतफो र॥ दहिदोषचढारहगएनाज ॥ अनुलागेकरणत्रिलोकराज ॥६॥ सब इंघाटावहित्रिकाल ॥ अनुजैजैजैजीवनदयाल ॥तहांकरतअष्टप्रति हारजदेव॥॥ विधिनावसहीत नितनविकसेव॥ अनुदेतमहान पदेसऐन॥ जिहसुनंतलहत नविपरमन ॥ तिहांजन्मजरादुखनासहोटा ॥ अनुवा याप्रनुताईससोटा ॥ ७ ॥ इहिविधिसंजोगपुरराजजोग ॥ अनुकरतअ नंत विलास नोग ॥ सोकर्मअरिनहितजिहिंसंग ॥ लगरहेपर्वथितिबंध अंग ॥।॥ अनुसुकलथ्यांनआरुढहोटा ॥ अंतरिद विराज हिंगगनसो य ॥तहासनजिढठहरायएक॥ पद्मासनको कान सग्गटेक ॥ १०॥ प्रनु गनहिनरहिकदाचिनूमि ॥ तोकरमकरतटाहिकोंनधूमि॥ लश्लइफिरत एहिलोकमाहें ॥ जिहिजिहिथानिकपुरवबंधआहे ॥ ११ ॥ कहूंराख
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