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चेतन्यकर्मचरित्र
॥दोहा॥ शहविधिनावसुनावते ॥ पाटोपरमाणंद । सम्यकदर्शसुहावनो ॥ल सोसुआतमचंद ॥१॥ ख्याटाकनावपरगट नयें ॥ महासुनटबलवंत॥ कोनोज हिबिनएकमे ॥ सुनटसात कोअंत ॥ २ ॥ मोहत के निर्मल न यो । अबकेकबुविप्रित ॥ मेरे सुनटसिथल नये ॥ लागेननकीजीत ॥३॥ चेतनध्यानकबानले ॥ मारेख्याटाकबान ॥ मोहमूढविपतोफि रें । ग्यानकरेघमसान |॥ ४॥ देस विरतिपूरमेचढ्यो ॥ चेतनदलपचं म॥ आग्याश्रीजिनदेवकी ॥ पाले सदाब खंम ॥ ५ ॥
॥सोरग॥ मोहनयोंबल हिन ॥ बिप्योबिप्योजित तितरहे॥चेतनमहाप्रवीन। सावधानहूश्चल तुहे ॥ १॥ अप्रमत्तपूरमाहिं ॥ चेतनआयोविधिसहि त ॥ तहांजोरवसाहिं ॥ मोहमाननिष्टितनयो ॥ २ ॥ चेतनकरत हेंध्या न॥ सुनटतिनौएरुहरे॥ फुनीचारित्रप्रवीन॥ करणकिएसत्तमपुरे ॥३॥
॥दोहा॥ तजिआहार विहार विधि ॥ आसनदृढम्हराया ॥ बिनुबिनुसुखथिर तावढे ॥ योंबोलेजिनराठा ॥१॥ अबेअपूरबकरणमे ॥ आटोचेतन राय ॥ किटोकरणदुजोतिहां ॥ थिरताबहुअधिकाय ॥ २॥ नौमेपर मेायके ॥ तृतियकरणकरिले य॥ हरिकें सुनब तीस तिहां ॥ आगेकों पगदेवा ॥ ३॥ आटोदसमेपूर विषे ॥ चैतनमहासचेत ॥ सुनटएकश्त हूंहस्यो । तबेग्यानसुधिदेत ॥ ४॥ सावधानव्हेनाथजी ॥ रहीयोतुम इहांठोर ॥ इहांमोहकोजोरहे ॥ तुमजिनजानहुनर ॥ ५॥ पहिले खता जंतुमल ही ॥ सोथानिकटाहाहिं ॥ तातेंमे विनतीकरों ॥ नुनुलिजि नजाहिं ॥६॥ तबचेतनकहेज्ञानसुनि । अबटाहपंथनलेह ॥ चनहुँ
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