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________________ ५५६ अ. प्रा. जैनलेखसन्दोहे माणिकदे पु० धागा भा० टबी पितुः श्रेयसे श्रीशांतिनाथ बिं० का० प्रतिष्ठितं गुंदा० भ० श्रीरत्नप्र[भ] सूरिः ( ६२८ ) एकतीर्थी सं[0] १४९२ वर्षे वैशाख वदि ५ शुक्रे प्रा० व्यव[ 0] राणा भा० रयणादे पु० लूणाकेन आत्मश्रे० श्रीशांतिनाथविवं का० प्र० कछोलीवालगच्छे भ० श्रीसर्वाणंदसूरीणामुपदेशेन पूर्णी(णि)मापक्षे. (६२९ ) पंचतीर्थी सं. १४९६ वर्षे ऊंबरणी वासि प्राग्वाट सा० लाषा भार्या राजी पुत्र सा० पांचाकेन भार्या सीतू पुत्र सामंतादियुतेन भार्या माधू श्रेयसे श्रीमहावीरबिंबं का० प्र० तपा श्रीसोमसुंदरसारिभिः।। (६३० ) एकतीर्थी १४९९ मार्ग शु० २ प्राग्वाट व्य० गोहा भार्या पूनी पुत्र हेमा भा० चारु सुत वीरमादियुतेन श्रीअनंतबिंब पितृव्य सामल श्रेयोर्थ का० प्रति० तपा श्रीसोमसुंदरमूरिभिः । (६३१ ) पंचतीर्थो सं० १५०२ वर्षे मार्ग[ ०] व. ९ मा० व्य० विजेसी भा• वीरू पु० देपाकेन भा० पुरी वीरी पु० काहा रामा साजर सवादिसकुटुंबेन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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