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________________ अनुपर्ति-लेखा : ५५५ ( ६२३ ) एकतीर्थी सं० १४८७ वर्षे आसा(षा)ढ वदि ५ ऊ० ज्ञा० व्य० कर्मसीह भा० कर्मादे पु० आकाकेन भा० अहिवदे सहितेन पितृमातृश्रि(श्रे)योथ श्रीचंद्रप्रभस्वामिबिंबं का० प्र० श्रीगुणप्रभसूरिभिः॥ (६२४ ) एकतीर्थी सं० १४८८ ज्येष्ट(छ) व० १० सोमे उपकेशज्ञा० पितृ बाहड माता चाहिणिदेवि(वी) श्रेयोर्थ पु० हेमाकेन श्रीशांतिनाथविवं का० प्र० श्रीशांतिमूरिभिः ॥ (६२५ ) एकतीर्थी सं० १४९१ वर्षे माघ सुदि ५ बुधे प्राग्वा० ज्ञा० व्य० नयणा भार्या कांऊ पुत्र दादा वाछाभ्यां समस्तपूर्वज तथात्म श्रे० श्रीअभिनंदनवि का० प्र० श्रीसाधुपू० श्रीधर्मतिलकसूरिपट्टे श्रीहीराणंदसूरीणामुपदेशेन ॥ (६२६ ) चोवीशी सं० १४९१ वर्षे माह सुदि ५ बु० प्राग्वाटज्ञातीय पंचायणागोत्रे सा० मांडण पुत्र ईसरेण पुण्यार्थ श्रीमहावीरबिंबं का० प्र० श्री जिनसागरसूरिभिः ॥ (६२७ ) पंचतीर्थी सं० १४९२ वर्षे फागुण सुदि ९ सोमे प्रा० सा० मोहण भा० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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