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________________ ६६२ अ. प्रा. जैनलेखसन्दोहे (६११ ) पंचतीर्थी सं० १४७३ वर्षे मार्गसर शुदि ६ शुक्र श्रीश्रीमालज्ञातीय वसाह जोगा भा० हीरादे सु० विजा भा० कपूरी सु० कर्मण डुंगरेन(ण) निजमातृश्रेयोर्थ श्रीमुनिसुव्रतस्वामिबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसोमसुंदरसूरिभिः तपागच्छे ॥:॥ (६१२ ) पंचतीर्थी संवत् १४७३ वर्षे वैशाष(ख) शुदि ५ बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० रांमण भा० मेघू श्रे० भ्रा० व्य० पद्माकेन श्रीपद्मप्रभु(भ) प्र. पंचतीर्थी का० प्र० श्रीपूणिमा० श्रीमुनितिलकसूरीणामुपदे० षीमसीनि (६१३ ) पंचतीर्थी संवत् १४७४ वष ज्येष्ट(8) सुदि २ शनौ प्रा० श्रे० जसा भा० राऊ पुत्र हीरा भा० चांदू(ना) पतिः(ति) श्रेयोथै श्रीनेमिनाथबिबं का प्र० सा पूर्णिमापक्षी० श्रीपासचंद्रमूरीणामुपदेसे(शे)न (६१४ ) पंचतीर्थी सं० १४७७ मार्ग व. ४ प्रा० श्रे० झांझण भा० जालू सुत धरणाकेन स्वश्रेयसें श्रीशांतिनाथबिवं कारितं ॥ प्रतिष्ठितं श्रीदेवगपति(गुप्ति?)सरिभिरिति भद्रं० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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