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________________ अनुपूर्ति-लेखा : ५५१ (६०७ ) पंचतीर्थी सं० १४५८ वर्षे वै० शुदि २ बुधेि] प्रा० सा० मामत सुत सा० पाता भार्या पामिणि श्रेयोर्थ सा० जेसाकेन भा० पदमिाण युतेन तपापक्षी[य] श्रीदेवसुंदरमरिण मुपदेशेन श्रीआदिनाथविवं कारित प्रतिष्टि(ठि)तं श्रीसूरिभिः (६०८ ) एकतीर्थी , १४९८ अर्षे वैशाष(ख) शु० ५ गुरौ प्रा० जा० म० कुरसीह भा० जयतूदेवी पुत्र रूपा कोला कडूया श्रेयसे श्रीपार्श्वनाथ वाला आकाकेन श्रीसोमसेनसरिउप[देशेन] (६०९ ) पंचतीर्थी संवत् १४६१ वर्षे ज्येष्ट(ष्ठ) सुदि १० शुक्रे प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० राम भार्या राजलदे पु० साल्हाकेन स्वपित्रो श्रे० अ....भ्रातृ वनझला श्रेयोथै श्रीआदिनाथपंचतीर्थी का० प्र०] श्रीपासचंद्रसरि[भिः] (६१० ) पंचतीर्थी सं० १४६७ वर्षे माह सुदि ५ शुक्रे प्रा० व्य० डीडा भा० रयणी पुत्री मेची आत्मश्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंब का० प्र० अंचलगच्छे श्रीमेरुतुंगसूरिभिः उपदेशेन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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