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________________ ५४६ अ. प्रा. जैनलेखसन्दोहे श्रे० सहजा मातृ सोमलदे पितृव्य कुंयर भ्रातृ डुगर अन्य [ : ] कोपि यः पीडां करोति तेषां श्रेयोर्थ श्रे० राणाकेन श्रीशांतिनाथ बिंबं कारापितं प्रतिष्टि ष्ठि)तं श्रीसूरिभिः ( १८६ ) पंचतीर्थी संवत् १४२९ वर्षे ज्येष्ट ( ४ ) वदि २ सोमे प्राग्वा० ज्ञा० श्रेष्टि (ष्ठि) वसारा भार्या पूनी पु....... ( ५८७ ) एकतीर्थी सं० १४३२ वर्षे वैशाष ( ख ) वदि १९ सोमे नाहरगौत्रे सा० रामदेव पु० कालू भार्या जेउ पु० देवसिंघेन पितृ काल पितृव्य सदा भ्रातृ पादा श्रेयसे श्रीआदिनाथचिव कारितं प्र० श्रीधर्मघोषगच्छे श्री सागर चंद्रसूरिभि (भिः) ॥ ( ५८८ ) धोवीशी संवत् १४३२ वर्षे वैशाख सुदि १२ गुरौ श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीश्रीमालीज्ञातीय पितृ सहजपाल मातृ बाजू श्रेयसे सन (सुत) लाषा श्रीशांतिनाथादिचतुर्विंशतिपडी (ट्टः) कारतः प्रति लीबाभ्यां श्रीदेवचंद्रसूरिभिः (१८९ ) एकतीर्थी सं[०] १४३३ वर्षे आषाढ शुदि १० बुधे संडेरज ( क हुंबड जा (ज्ञा )तीय । मोषा भार्या राभृ प ( पुत्र मृजाकेन पि ० Jain Education International For Personal & Private Use Only C ) गोत्रे । षीमा । www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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