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________________ ५४४ अ. प्रा. जैनलेखसन्दोहे पितृ राणा भा० राणादे पि ० वीरपाल मोकल सहजा हादा श्रेयोर्थ सुत लाबाकेन शांतिनाथपंचतीर्थी का० श्रीपूर्णिमाप० धर्मचंद्रसूरीणामुप० ब्रह्माणमच्छे प्र० ( ५७७ ) एकतीर्थी संव० १४२१ वर्षे माघ वदि ११ सोमे श्रे० लाषण सुत दउमडेन पितृमातृश्रेयोर्थं श्री महावीरवि कारितं साधु श्रीजिनसिंघ (ह) सूरीणामुपदेशेन ॥ ७४ ( १७८ ) एकतीर्थी सं० १४२१ वर्षे माघ शु० ११ सामे उपकेशज्ञातीय व्य० काला तद्भार्या षीमलदेवि (वी) श्रेयसे सुत मांडणेन श्रीशांतिनाथ बिंबं कारितं श्री नेमिचंसूरिपट्टे श्रीदेव चंद्रसूरीणामुपदेशेन प्रति० श्रीसूरिभिः ( १७९ ) एकतीर्थी ॐ संव० १४२१ वर्षे वैशाष ( ख ) वदि ५ शनौ व्यव० सा (सो) मा भार्या सोमलदे तत्पुत्र गेहाकेन पित्रोः श्रेयसे श्रीमहावीरबिंबं कारितं साधुपूणिमापक्षीय श्रीधर्मचंद्र सूरीणामुपदेशेन ( १८० ) पंचतीर्थी स[०] १४२२ वैशाखशुदि ५ गुरौ श्रीमालज्ञातीयः श्रे० सालिः निजपितृ जऐ (य) ता मातृ जयतलदे पितृव्य सामत भ्रातृव्य श्रे० आंबड श्रेयसे श्रीआदिनाथ कारितः Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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