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________________ अनुपूर्ति - लेखा : (५७२ ) एकतीर्थी ० १४१४ वर्षे वैशाष (ख) शुदि १० प्रा० व्य० आसपाल भा० लषमादे पुत्र | झाझ मातृपितृश्रे० श्रीमा (म) हावीरबिंबं का प्र० श्री सोमतिलकसूरि[भिः ] सं० ( ५७३ ) एकतीर्थी सं० १४१४ वैशाखशुदि ११ शुक्रे मोढज्ञा पितृ वीकल मातृ शंभू श्रे० सुत जयतसीहेन श्रीपार्श्वनाथवि का ० प्र० नागेन्द्रगछे श्रीकमलप्रसूरिभिः ५४३ ن ( ५७४ ) एकतीर्थी सं १४१८ वर्षे वैशा' शु० ७. • श्रीमालज्ञा श्र डा भार्या भाऊ पुत्र) रणसीहेन श्रीपार्श्वनाथबिवं कारा प्रतिष्ठितं वृ (बृ)हृद्गच्छेश श्रीहेमरत्नसूरिपट्टे शिष्य श्रीरत्नशेष ख ) रसरीणामुपदेशेन ( ५७५ ) एकतीर्थी सं० १४२० वर्षे वैशाष (ख) शुदि १० बुधे प्रावाट ज्ञा श्र० कर्मसीह भा॰ माल्हणदे पु० सोनपालेन भा० पूनी सहितेन पित्रोः श्रेयसे श्रीपार्श्वनाथविवं मडाहडीयगच्छे श्री पूर्णचंद्रसूरिभिः कारितं प्रतिष्टि (ष्ठित ॥ Jain Education International (५७६ ) पंचतीर्थी सं० १४२० व० बैशाष(ख) शुदि १० बुदे (धे ) श्रीमाल ज्ञा For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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