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________________ पित्तलहरलेखाः । ( ४२३ ) सं० १४२३ वर्षे मार्गसिर वदि ८ बुधे प्राग्वाट सा० थिरपाल भा० सल्हण पुत्री रूपा आत्मश्रेयोर्थं श्रीसुमतिनाथबिंबं कारितं गूढ़ा • श्रीरत्नप्रभसूरि । ( ४२४ ) सं[०] १४२० वैशाखशु [०] १० शुक्र प्राग्वाट श्रे० लींबा भार्या देवल पु० देपालेन पित्रः भ्रातृश्रेयोर्थं श्री आदि [नाथ ]बि का प्र० पिप्पलीय श्रीवीरदेवसूरिभिः || ( ४२५ ) सं[०] १४३९ वर्षे पोषवदि ९ रवौ प्रा० ज्ञा० व्यव[0] सोहड पुत्र व्यव[ ० ] जाणा भार्या अण (नु) पमदे पुत्र कालू समस्त - पूर्वजश्रेयोर्थं श्रीपद्मप्रभ[वित्रं ] कारित (तं) साधु पू० श्रीधर्म्मतिलकसुरीणामुपदेशेन ॥ १६७ ( ४२६ ) स्वस्ति संवत् १४९७ वर्षे आसादसुदि १३ दिने राउति श्रीश्रीराजधरि पीतलहरदेहरि न लाग श्रीमातादिक रावुठ परभवा सामठि सलह वणवी श्रीसंघ मिली कीधु जेव्हला श्रीआदिनाथदि तेव्ह ज श्रीमाता मागि माणां १६ चोषा करस १६ घृत वरसथि पीतलहरि देहरि श्रीमाता दइ अवसोही १ तेल दीवालीए मागि कलसरी कलका Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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