SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 17
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवान् का सभामण्डप श्रीसंघ ने बनवाया । यह कार्य महाराज तखतसिंह जी के विजय राज्य में हुआ था । इसी क्रम में लेखांक ५२६ में विक्रम सम्वत् १९०३ में पण्डित रूपचन्द्र ने अपने पूर्ववर्ती गुरुजनों के षट् चरणों की स्थापना की थी । नागौर में यह सुमतिनाथ का विशाल एवं भव्य मुख्य मन्दिर है । लेखांक ५५५, ५५७- इसी मन्दिर में सम्वत् १९०७ में पण्डित रूपचन्द्र के उपदेश से जिनकुशलसूरि के चरणों की प्रतिष्ठा की गई थी। इस लेख में भी रूपचन्द्र जी ने अपनी पूर्ववर्ती छ: गुरुओं का उल्लेख किया है और साथ ही यह भी उल्लेख किया है कि इसी बगीचे में दादागुरुदेवों के चरण स्थापित किये गये थे । लेखांक ५५२-५३- सम्वत् १९०६ में २७ साधुओं के परिवार के साथ श्री जिनमहेन्द्रसूरि ने कोटा में दादा जिनदत्तसूरि, जिनकुशलसूरि के चरणों की प्रतिष्ठा की थी। लेखांक ५९३-५९८ - सम्वत् १९१९ में जयनगर निवासी कोचर मुहता चुन्नीलाल के पुत्र सुखलाल ने दातरी में मन्दिर बनवाया और इसकी प्रतिष्ठा तपागच्छीय विजयधरणेन्द्रसूरि ने की थी । इसी मन्दिर में निर्माता सुखलाल कोचर की मूर्ति भी विद्यमान है । लेखांक ६०१-६१८- सम्वत् १९२० में श्रीजिनमहेन्द्रसूरि के पट्टधर श्री जिनमुक्तिसूरि ने वृंदावती ( बूँदी नगर) में रावराजा महाराजा रामसिंह जी के विजय राज्य में प्रतिष्ठा करवाई थी । मन्दिर का निर्माण और प्रतिष्ठा बाफना गोत्रीय संघपति बहादरमलजी के पुत्रों- दानमल्ल, हमीरमल्ल, राजमल्ल ने करवाया था। ये बहादरमल जी बाफना वही हैं जिन्होंने जिनमहेन्द्रसूरि के आधिपत्य में वि० सं० १८९१ में शत्रुंजय तीर्थ का विशाल पैदल यात्री संघ निकाला था, जिसमें श्रीपूज्य, आचार्य, साधु-साध्वी, यति आदि २१०० की संख्या में सम्मिलित थे और इस संघ में उस समय १३,००,००० रुपये खर्च हुए थे। इसका विस्तृत वर्णन अमरसर (जैसलमेर) के शिलालेख में प्राप्त है । जैसलमेर में जो विश्व प्रसिद्ध पटवों की हवेलियाँ Jain Education International (x) For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003984
Book TitlePratishtha Lekh Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherVinaysagar
Publication Year2003
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy