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________________ प्रतिष्ठा-लेख-संग्रहः द्वितीयो विभागः १४३ (७४०) दादा-पादुका युग्म दादाजी श्रीजिनदत्तसूरिजी का चरण दादाजी श्रीजिनकुशलसूरिजी का चरण। (७४१) हनुसागर-पादुका ..........र्थं ह० भट्टारक खरतरगच्छे वा। श्री १०८ श्रीरत्नरङ्गजी गणि तच्छिष्य पं। प्र। श्रीहनुसागर मुनिना चरण पादुका प्र० रत्नविनय.........। (७४२) विंशतिस्थानकपट्टः ॥ मुताजी साहिबरामजी कारापितं मुनि अमृतविजयजी प्रतिष्ठितं ॥ अजमेर नगरे। (७४३) सिद्धचक्रयंत्रम् श्रीसिद्धचक्रयंत्र वैद मुहता उमेदचंद पुत्र श्रीचंदेन कारितं प्रतिष्ठापितं च श्रेयो)। (७४४) सुखसागर-मूर्तिः पूज्यपाद खरतरगणाधीश्वर श्रीमान् सुखसागरजी महाराज सा० श्राद्धवर्य जतनलालजी डागा की धर्मपत्नी श्रीमती अनोपकुंवर बाई ने स्वकल्याणार्थ स्थापित की। दी० वि० भाद्रपद शु० ५ स्वर्ग वि० सं० १९४२ माघ कृष्णा ४ (७४५) हीरविजयसूरि-पादुका सम्राट अकबर प्रतिबोधक यु० प्र० भ० जगद्गुरु श्रीहीरविजयसूरि पादुका का० श्रीसंघेन तपागच्छ मंदिरे जयपुर (७४६) विजयानन्दसूरिमूर्तिः || न्यायांभोनिधि श्रीतपागच्छालङ्कारसारभट्टारक श्रीविजयानंदसूरीश्वराणां प्रसिद्धनाम श्रीमन्नात्मारामजी की प्रतिमा अर्पण करनार नाजिम ७४०. नागोर हीरावाड़ी मन्दिर ७४१. नागोर सुमतिनाथ मन्दिर ७४२. अजमेर संभवनाथ मन्दिर ७४३. अजमेर वैदमुहता देवकरण गृह देरासर ७४४. जयपुर इमली वाली धर्मशाला ७४५. जयपुर सुमतिनाथ मन्दिर ७४६. मालपुरा ऋषभदेव मन्दिर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003984
Book TitlePratishtha Lekh Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherVinaysagar
Publication Year2003
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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