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________________ १४४ प्रतिष्ठा - लेख - संग्रह: द्वितीयो विभागः गुलाबचंद ढढ्ढा कि मातुश्री श्राविका राजकुंवर बाई प्रतिष्ठा करनार मुनि श्रीमोतीविजयजी महाराज ज्येष्ठ शुक्ला .....॥ (७४७) शिलापट्ट - प्रशस्तिः ॥ श्रीः ॥ वि० सं० २००१ मिति प्रथम चैत्र कृष्णपक्ष १० दशम्यां शुक्रवासरे ॐ ह्रीं श्रीं पार्श्वयक्ष श्रीपद्मावतीदेवीमूर्तिप्रतिष्ठा श्रीमत्तपागच्छाधीश्वर जैनशासनसम्राट् सूरिचक्र चक्रवर्ति श्रीविजयने मिसूरीश्वर पट्टालङ्कार श्रीविज्ञानसूरीश्वरजी शिष्यरत्न मुनि श्रीमद्वल्लभविजयजी ने कुचेरा श्रीसंघ द्वारा शान्तिस्नात्र कारिता शुभम् । ( ७४८ ) पार्श्वयक्षः ॥ श्रीः । सं० २००१ मि० प्र० चैत्रकृष्णदशम्यां शुक्रवासरे श्रीपार्श्वयक्षमूर्ति प्रतिष्ठा श्रीमत्तपागच्छेश्वर जैनशासनसम्राट् सूरिचक्रचक्रवर्ति श्रीविजयनेमिसूरीश्वरैः॥ ( ७४९ ) विजयशान्तिसूरि- पादुका आ० श्रीविजयशान्तिसूरीश्वरजी भगवान् की चरणपादुका वरखेड़ा गीराम प्रतिष्ठितं श्रीमांडोली नगरे श्रीसंघेन कारापितं आ० भट्टारक श्रीविजयजिनेन्द्रसूरिभि: वि० सं० २००१ मा० शु० ५ गुरुवार । ( ७५० ) विजयशान्तिसूरि - पादुका रौप्यमय जगद्गुरु १००८ श्रीविजयशान्तिसूरीश्वरजी भगवान की चरणपादुका वि० सं० २००१ मा० शु० ५ गुरु ग्राम वरखेडस्थ आ० भ० श्रीजिनेन्द्रसूरिभिः प्र० । (७५१ ) विजयशान्तिसूरि-मूर्ति: ॐ नमः सिद्धं । सं० २००१ वि० फाल्गुन वदि ५ शनि को जगतगुरु आचार्यसम्राट् योगीन्द्रचूडामणि जैनाचार्य श्री १००८ श्रीविजयशान्तिसूरीश्वरजी की मूर्ति की प्रतिष्ठा श्रीपूज्याचार्य श्रीजिनधरणेन्द्रसूरि के करकमलों से जयपुर वास्तव्य श्रेष्ठी ... 1 * ७४७. कुचेरा चिन्तामणि पार्श्वनाथ मन्दिर ७४८. कुचेरा चिन्तामणि पार्श्वनाथ मन्दिर ७४९. वरखेड़ा ऋषभदेव मन्दिर ७५०. वरखेड़ा ऋषभदेव मन्दिर ७५१. जयपुर नया मन्दिर Jain Education International For Personal & Private Use Only * www.jainelibrary.org
SR No.003984
Book TitlePratishtha Lekh Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherVinaysagar
Publication Year2003
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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