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(७३१) दादापादुका -युग्म
भ० श्रीजिनदत्तसूरिः भ० श्रीजिनकुशलसूरि :
प्रतिष्ठा - लेख - संग्रह : द्वितीयो विभागः
दादा साहिब श्रीजिनकुशलसूरिजी
(७३२) जिनकुशलसूरि - पादुका रौप्यमय
दादा साहिब श्रीजिनदत्तसूरिजी
सिताबचंद से ।
(७३३) जिनदत्तसूरि - पादुका रौप्यमय
(७३४) पादुका
साहजी श्री जासवाभू श्रीसंघेन श्रीगुरुपादुका कारितं ॥
( ७३५) सीमधंरः स्फटिकरन
श्रीमिंदरस्वामी फिटीक रतन की प्रतिमा विराजमान करावी रामचंद
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(७३६) जिनदत्तसूरि - पादुका रौप्यमय
श्रीजिनदत्तसूरिजी का चरण
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श्रीदादाजी श्रीजनकुशलसूर
(७३७) जिनकुशलसूरि - पादुका रौप्यमय
(७३८) जिनदत्तसूरि - पादुका
बृहद् भट्टारक जं० यु० प्र० भ० १०८ श्रीजिनदत्तसूरिजी का चर्णपादुका श्रीसंघेन कारापितं ।
(७३९) जिनकुशलसूरि- पादुका
जं । यु । भ श्रीजिनकुशलसूरिपादुके ॥
७३१. जयपुर इमली वाली धर्मशाला ७३२. जयपुर पूनमचंद ढोर गृह देरासर ७३३. जयपुर पूनमचंद ढोर गृह देरासर ७३४. गागरडु आदिनाथ मन्दिर
७३५. जयपुर पञ्चायती मन्दिर
७३६. जयपुर पञ्चायती मन्दिर
७३७. जयपुर यति श्यामलाल जी का उपाश्रय
७३८. नागोर सुमतिनाथ मन्दिर ७३९. जोधपुर केशरियानाथ मन्दिर
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