SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 167
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४२ (७३१) दादापादुका -युग्म भ० श्रीजिनदत्तसूरिः भ० श्रीजिनकुशलसूरि : प्रतिष्ठा - लेख - संग्रह : द्वितीयो विभागः दादा साहिब श्रीजिनकुशलसूरिजी (७३२) जिनकुशलसूरि - पादुका रौप्यमय दादा साहिब श्रीजिनदत्तसूरिजी सिताबचंद से । (७३३) जिनदत्तसूरि - पादुका रौप्यमय (७३४) पादुका साहजी श्री जासवाभू श्रीसंघेन श्रीगुरुपादुका कारितं ॥ ( ७३५) सीमधंरः स्फटिकरन श्रीमिंदरस्वामी फिटीक रतन की प्रतिमा विराजमान करावी रामचंद .......... (७३६) जिनदत्तसूरि - पादुका रौप्यमय श्रीजिनदत्तसूरिजी का चरण Jain Education International श्रीदादाजी श्रीजनकुशलसूर (७३७) जिनकुशलसूरि - पादुका रौप्यमय (७३८) जिनदत्तसूरि - पादुका बृहद् भट्टारक जं० यु० प्र० भ० १०८ श्रीजिनदत्तसूरिजी का चर्णपादुका श्रीसंघेन कारापितं । (७३९) जिनकुशलसूरि- पादुका जं । यु । भ श्रीजिनकुशलसूरिपादुके ॥ ७३१. जयपुर इमली वाली धर्मशाला ७३२. जयपुर पूनमचंद ढोर गृह देरासर ७३३. जयपुर पूनमचंद ढोर गृह देरासर ७३४. गागरडु आदिनाथ मन्दिर ७३५. जयपुर पञ्चायती मन्दिर ७३६. जयपुर पञ्चायती मन्दिर ७३७. जयपुर यति श्यामलाल जी का उपाश्रय ७३८. नागोर सुमतिनाथ मन्दिर ७३९. जोधपुर केशरियानाथ मन्दिर For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003984
Book TitlePratishtha Lekh Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherVinaysagar
Publication Year2003
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy