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________________ (१६८) प्रतिष्ठा-लेख-संग्रहः [ले० ६८७-६६१ (६८७) मुनिसुव्रत-पञ्चतीर्थीः ।। संवत् १५६१ वर्षे पौष पदि ११ शुरौ॥ अहिमनगरवास्तव्य श्रीश्रीमालज्ञातीय फडीआ समधर सार्या हीरू सु० फ० जला भा० पूतलि सुत फ० राणा सा० रंगादे सुत फ० जगमाल जयतमाल चांपाकेन श्रीमुनिसुव्रतबिंब कारापितं श्रीबृहत्तपापक्षे श्रीधनरत्नसूरिभिः प्रतिष्ठितं शुभंभवतु।। (८) अभिनन्दन-पञ्चतीर्थीः संवत् १५६२ वर्ष आषाढ सुदि ६ दिने आदित्यनागगोत्रे तेजाणीशाखायां सा० सुहडा पु० हांसा पुत्र सधारणदास नरपाल सधारण भार्या सूहबदे पुत्र ४ श्रीकरण रंगा समरथ अमीपाल। सधारण स्वपुण्यार्थ कारितं श्रीउपकेशगच्छे स० श्रीसिद्ध परिभिः श्रीअभिनन्दनबिंबं प्रतिष्ठितं स्वपुत्रपौत्राय श्रेयसे अस्तु ।। (E८९) आदिनाथ-पञ्चतीर्थीः सं० १५६२ वर्षे माघ वदि ३ दिने . . . . . . . ... . . . . . . . . . . 'श्रीआदिनाथबिंब कारितं प्र० बृहत्तपागच्छे श्रीललितप्रभसूरिपट्टे श्रीपासचन्द्र सूरिभिः। श्री ॥ . . . . . () वासुपूज्य-पञ्चतीर्थीः सं० १५६५ व० वै० शु०६ शु० प्राञ्जल्लीवास्तव्य श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० नारुण भार्या लीला स० श्रे० आसा० भा० रूपा भा० रंगादे समस्तकुटुम्बश्रेयसे श्रीवासुपूज्यबिंबं का० प्र० तपा० सूरी० ॥ (६६१) श्रेयांसनाथ-पञ्चतीर्थीः __ संवत् १५६५ वर्षे मा० व० [ ] दलुलिवास्तव्य हुंबडज्ञाति मुहडासीया श्रे वीरपाल भा० मानू पुत्र श्रे० नीसल भा० जीविणी पुत्र श्रे लहूआकेन भा० ललतादे वृद्धभ्रातृ दो० अासा चांपा पोपट लखमादिकुटुम्बयुतेन श्रेयोर्थ श्रीश्रेयांसनाथबिंब कारितं प्र० तपा श्रीहेमविमलसू० तत्पट्टे श्रीसौभाग्यहर्षसूरिभिः ॥ श्रीः ।। मातरगोत्रे लहूश्रा ६८७ मेड़ता सिटी महावीर मन्दिर १८८ नागोर बड़ा मन्दिर १८६ मेड़तासिटी धर्मनाथ मन्दिर १६० आंतरसूबा वासुपूज्य मन्दिर ६६१ कोटा माणकसागरजी का मन्दिर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003983
Book TitlePratishtha Lekh Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherVinaysagar
Publication Year
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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