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प्राचीनगूर्जर काव्यसङ्ग्रहः
तिसइ आकारि ज सिडिसिला, अमलनिर्मल जलसंकास जु अजरामर - स्थानु, तेह ऊपरि योजनसंबंधियइ चउवीसमह य विभागि जि सिद्ध अनंत सुखलीण ति सिद्ध भणियइ । तीह सिद्ध माहरउ नमस्कारु हउ ॥ २ ॥
नमो आयरियाणं || ३ || माहरउ नमस्कारु आचार्य हुउ । किसा जि आचार्य; पंचविधु आचारु जि परिपालइ ति आचार्य भणियह। किसउ पंचविधु आचारु । ज्ञानाचार, दर्शनाचारु, चारित्राचारु, तपाचारु, वीर्याचारु, as पंचविधु आचारु जि परिपालइ ति आचार्य भणिइ । तीह आचार्य 'माहरउ नमस्कारु हउ ॥ ३ ॥
नमो उवज्झायाणं ॥ ४ ॥ माहरउ नमस्कारु उपाध्याय हुउ । किसा जि उपाध्याय; द्वादशांगी जि पढइ पढावइ । किसी ज द्वादशांगी; आचारांगु १ सुयगड २ ठाणांगु ३ समवाउ ४ विवाहपन्नत्ति ५ ज्ञाताधर्म्मकथा ६ उवासगदसा ७ अंतगडदसा ८ अणुत्तरोववाइयदसा ९ पण्हवागरणु १० विपाकश्रुतु ११ दृष्टिवादु १२ ए बार आंग जि पढइ पढावइ ति उपाध्याय भणियइ । तीह उपाध्याय माहरउ नमस्कारु हुउ ॥ ४ ॥
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नमो लोए सव्वसाहूणं ॥ ५ ॥ ईणि लोकि जि केई अछइ साधु । यउ लोकु च किसउ भणियइ । अठाई द्वीपसमुद्र पनर कर्म्मभूमि । जि किसी ; पांच भरत पांच ऐरवत पांच महाविदेह खेत्र, ईह पनर कर्म्मभूमिमाहि जि केई अच्छइ साधु । किसा जि साधु; रत्नत्रउ जि साधइ । किसउ रत्नन्नउ; ज्ञानु दर्शन चारित्रु यउ रत्नत्रउ जि साधइ ति साधु भणियs । तीह साधु पंचमहाव्रतपरिपालक । पंचमहाव्रत किसा भणियइ । प्राणातिपात्तु १ मृषावादु २ अदत्तादान ३ मैथुन ४ परिग्रह ५ रात्रीभोजनु । जि विवर्ज्जर ति साधु भणियइ । तीह साधु सर्वहीं माहरउ नमस्कारु हुउ ॥ ५ ॥
एसो पंच नमोकारो ॥ ६ ॥ एउ पंच परमेष्टिनमस्कारु | पंचपरमेष्ठि किसा । जि पूर्वोक्तभणिया अरिहंत १ सिद्ध २ आचार्य ३ उपाध्याय ४ साधु ५ इह पंचपरमेष्ठिनमस्कारु भावि क्रियमाणु हुंतउं किसउं करइ ॥ ६ ॥ सव्वपावपणासणो ॥ ७ ॥ सर्वपापप्रणासकारियउ हुइ । ईणि जीवि चतुर्गतिक संसारि भवभ्रमण करतइ हुंतइ जि असुभलेश्या उपायी पापु सु ईणि पंचपरमेष्ठिनमस्कारि महामंत्रि सुमरीतइ हुंतइ क्ष हुयइ ॥ ७ ॥ मंगलाणं च सव्वेसिं पढमं होइ मंगलं ॥ ८ ॥ ईणि संसारि दधिचंदनदूर्वादिक मंगलीक भणियइ । तीह मंगलीक सर्वहीमांहि प्रथम मंगल एहु |
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