________________
७२
प्राचीनगूर्जरकाव्यसङ्ग्रहः मिलियउ धम्मियसाथडउ उजिलमग्गि वहेई ॥७॥ इह वढवाणइ चउहटइ दीसइ सीहविमाणु । रंनडुलइ वोलावी अंमुलअग्गेवाणि ॥ ८॥ इय वढवाणइ जि हट्टइ हियडउं रह न करेइ । दिवि दिवि वंदइ नेमिजिणु चडियउ गिरिसिहरेहिं ॥९॥ पाइ चहुदृइ कक्करीउ उन्हालइ लू वाई । जे कायर ते वलिया जे साहसिय ते जाइं ॥१०॥ साहिलडा सरवरतलिहिं उग्गिउ दवणछोड । उजिलि जंते धंमिए गुंथिउ नेमिहिं मउडू ॥११॥ सहजिगपुरि वोलेविणु गंगिलपुरहिं पहुत्तु । माडी कहिजि संदेसडउ अंनु जिणेजे पुत्तु ॥ १२ ॥ जइ लखमीधर वोलियं पेखिवि बहु य पलास । तउ हियडउं निंवरु थिउं मुक्क कुटुंबह आस ॥ १३ ॥ विसमिय दोत्तडि नइ घणिय डुंगर नत्थि च्छेऊ । हियडर्ड नेमि समप्पियउं जं भावइ तिंव नेऊ ॥ १४ ॥ करवंदियालं वोलियां अणंतपुरू जहिं ठाई । दिन्नउ तहि आवासडउ हियउं विअद्धिं थाई ॥ १५ ॥ नालियरीडुंगरितडिहिं बहुचोराउलिठाई। धम्मियडा वोलिउ गिया अमुलतणइ सहाई ॥१६॥ भालडागदुसुंनउ अवियडउं वसेइ । धम्मिय कियउ वीसावड सुरधारडीघरेहिं ॥ १७ ॥ ओ दीसइ उटुंधलउ सो डुंगरु गिरनार । जहिं अच्छइ आवासियउ सामिउ नेमिकुमारु ॥१८॥ मंगूखंभि न मणु रहिउ अंनु वहडेउ दिट्ठ। खडहड अंगु पखालियं गोवाडलिहि पहुव ॥ १९ ॥ भाद्रनई जह वोलिउ नाचइ धंमिउ लोउ। उजिलि दीवउ वोहियउ सुरठडिय हउ जोउ ॥ २० ॥ खंडइ देउलि जउ गिया सांकलि वोलिवि। धमिय कियउ आवासडउ वंचूसरितलि नेई ॥ २१ ॥ ऊजिलमग्गि वहंता रजु लागइ जसु अंगि।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org