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दूहामातृका
केवलिपहु निव्वाणि गउ धम्मु मतंतरि भग्गु ॥ २१ ॥ अकयधम्मि जइ माणुसह हुइ नवकारु वि अंति । तिणि पुन्निहि तह देवगइ अहवा मुत्ति न भंति ॥ २२॥ कवडिहि माया मूढ जिउ वंचइ लोउ अप्पाणु। तिणि पाविहि भवि भवि दुहिय नवि पावइ निव्वाणु ॥ २३ ॥ खजइ कालु कयंत जगि को अज वि को कल्लि । संजमि गयवरि आरुहिउ सिडिसरणि जिय चल्लि ॥ २४ ॥ गयवरमत्ता जेम हिव मा हिंडसि नरसीह । हणि कसाय दमि इंदियइ गणिया लब्भइ दीह ॥ २५ ॥ घडिय न लब्भइ अग्गलिय इंदह अकइ वीरु । यउ जाणिउं जिणधम्मु करि जावह वहइ सरीरु ॥ २६ ॥ अवि जाणिजइ सो दिवसु जणु पुणु मरइ निरुत्तु । छड्डेविणु घरहल्लोहलउ धम्मु करेवा जुत्तु ॥ २७ ॥ चंचलु चित्तु पवंगु जिम वयबंधण न धरेसि । धम्मारामि विणासियइ मूढा हत्थ म लेसि ॥ २८ ॥ छन्नउ पयडउ जीव तुहुं उज्जमु करि जिणधम्मि । सुहियं दुहियं माणुसह पासु न मेल्हइ कम्मु ॥ २९ ॥ जरजजरि देहडी हुई य पंडरि हूया केस । अरि जिय धम्मु करेजि त गइय स बालियवेस ॥३०॥ झलहलंत जिणवरपडिम जेइ करावइ दव्वि। सग्गपवग्गहतणा सुह ते पामेसइ सव्वि ॥ ३१ ॥ अहु चिंतंता विहवसिण कज्जु अनेरउ होइ । राउलि बलियउ दुब्बलउ देव न बलियउ कोइ ॥ ३२ ॥ टलइ मेरु नियठाणह जइ पच्छिम उग्गह सूरु । पुव्व कियउं तो नवि चलइ कम्ममहाभरपूर ॥ ३३ ॥ ठगियउ हिंडिसि जीव तुहु घारिउ विसि मिच्छत्ति । सम्मत्तह रयणह रहिउ न लहसि सिवसंपत्ति ॥ ३४ ॥ डणउ जेम्व गलि संकलिउ भवि भवि कुणबउ जीव । नवि छुटिजइ तो वि तह जइ लंघिजइ दीवु ॥ ३५ ॥ ढणहणंति इंदिय तुरय पाडेसह भवखोहि ।
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