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सालिभद्दकक
दहविह धम्मु करेसि किम किम सोसिसि निय अंगु । वच्छ तहं ता दोहिलउं होसिइ तुह सीलंगु ॥ ३६॥ दाणसीलतवभावणह अणु न सोसिउ जेहिं । माइ मणूभवु दुल्लहउ आलिहि हारिउ तेहिं ॥ ३७॥ धम्मु किइउ जिम रिसह जिणि तिम किजइ सुअ इत्थु । पहिलउं साखिहिं पसरिउ अंति पयासिउ तित्थु ॥ ३८॥ धाडउ जमरायहतणउ पडइ अचिंतिउ माइ। कडिउ लिजइ जीवु तिणि बुंब न वाहर काइं ॥ ३९ ॥ नवकप्पूरिहि पूरिया नंदण कोमल केस । केतगिवालई वासिया किम उहरिसि असेस ॥ ४० ॥ नारायणबंधवु निसुणि तहिं दिणि दिकिउ बालु। सीसु अग्गि दुस्सहु सहइ माइ सु गयसुकुमालु ॥४१॥ पट्ट सुअ तइं पहरियां रसियउं दिव्व अहारु । सुअ उव्वासिहिं सोसिया केम करेसि विहारु ॥ ४२ ॥ पालिसु पंच महव्वई बारस अंग पढेसुं। वीरनाहिसुं माइ हउं नवकप्पिहि विहरेसु ॥ ४३ ॥ फणिरायह सिरि पुत्त मणि मुल्लेण य बहुमुल्लु। सा गिण्हता पाणहर संजमभर तस तुल्लु ॥४४॥ फाडिजइ करवत्तु सिरि पाइजइ कत्थीरु । माइ दुरस्कु नारय सुणिउ महु उडसइ सरीरु ॥ ४५ ॥ बत्तीसहं पलंकि त सयणु करइ नितु जाइ। डूंगरि कासुगि करिसि किम बलि किजउं तह काय ॥ ४६॥ बार मास कासग्गि रहिउ बाहूबलि मुणिराउ । नाणह कारणि तिणि सहिउ सीअ लूअ जलु वाउ ॥४७॥ भमिसि विहारिहिं भारिअओ नंदण तुं सुकुमाल । वीर जिणंदह चरणु पुणु मुणि बावन्न फालु ॥४८॥ भारु माइ भुस्किय वहइ रासहवसहपमुस्क। आरंकुसकसि ताडियई ताहं कु जाणइ दुख ॥४९॥ मयलंछण जिम तारयहं सयलहं किल भत्तारु । तं बत्तीसहं बहुअरहं एक देव आधारु ॥५०॥
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