SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जंबूसामिचरिय झाणखडग्गिण मयणसुभड समरंगणि पाडिउ । कुसुमवुटि सुर करइ तुहि हुउ जयजयकारो। धनु धनु एहु जु थूलिभद्द जिणि जीतउ मारो ॥ २५॥ पडिबोहिवि तह कोसवेस चउमासिअणंतरू । पालिय भिग्गह ललिय चलिय गुरुपासि मुणीसरु । दुक्करदुक्करकारगु त्ति सूरिहि सु पसंसिउ । संखसमुज्जलजसु लसंतु सुरनरहं नमंसिउ ॥ २६ ॥ नंदउ सो सिरिथूलिभद्द जो जुगह पहाणो । मलियउ जिणि जगि मल्लसल्लरइवल्लहमाणो । खरतरगच्छि जिणपदमसूरिकियफागु रमेवउ । खेला नाचई चैत्रमासि रंगिहि गावेवउ ॥ २७ ॥ ॥ सिरिथूलिभदफागु समत्तु ।। जंबूसामिचरिय जिण चवीसइ पय नमेवि गुरुचलण नमेवी । जंबूसामिहिंतणउं चरिय भविउ निसुणेवी। करि सानिध सरसत्तिदेवि जिम रयं कहाणउं । जंबुसामिहिं गुणगहण संखेवि वषाणउं ॥ १॥ जंबूदीपह भरहखित्ति तिहिं नयरपहाणउं । राजगृह नामेण नयर पहुविं वरकाणउं । राज करइ सेणियनरिंद नरवरहं जु सारो। तासुतणइ पुत्त बुद्धिमंत मंति अभयकुमारो ॥२॥ अन्नदिणंतरि वडमाण विहरंत पहूतउ । सेणिउ चालिउ वंदणह बहुभत्तितुरंतु । मागि वहंतु माहाराज केस पेखेइ । भोगविरत्तउ पसनचंद बहुतवण तवेइ ॥३॥ धनु धनु माया एहरसि पसंसिउ वंदइ । दुमुखवयणि सो चलिउ ध्यानि कुमारगि चल्लह । धम्मलाभ नवि दीयइ जाम मुनि हूउ अभाओ। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003980
Book TitlePrachin Gurjar Kavyasangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC D Dalal
PublisherCentral Library
Publication Year1920
Total Pages172
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy