SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 48
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सिरिथूलिभहफागुं ३९ सीयलकोमलसुरहि वाय जिम जिम वायंते । माणमडप्फर माणणि य तिम तिम नाचते। जिम जिम जलभरभरिय मेह गयणंगणि मिलिया। तिम तिम कामीतणा नयण नीरिहि झलहलिया ॥८॥ भास-मेहारवभरऊलटि य जिम जिम नाचइ मोर। तिम तिम माणिणि खलभलइ साहीता जिम चोर ॥९॥ अह सिंगारु करेइ वेस मोटइ मनऊलटि । रइयरंगि बहुरंगि चंगि चंदणरसऊगटि । चंपयकेतकिजाइकुसुम सिरि धूप भरेइ । अतिआछउ सुकमाल चीरु पहिरणि पहिरेइ ॥ १०॥ लहलह लहलह लहलह ए उरि मोतियहारो। रणरण रणरण रणरण ए पगि नेउरसारो। झगमग झगमग झगमग ए कानिहि वरकुंडल। झलहल झलहल झलहल ए आभरणहं मंडल ॥ ११ ॥ मयणखग्ग जिम लहलहंत जसु वेणीदंडो। सरलउ तरलउ सामलउ रोमावलिदंडो। तुंग पयोहर उल्लसइ सिंगारथवका। कुसुमबाणि निय अमियकुंभ किर थापणि मुक्का॥ १२ ॥ भास-काजलि अंजिवि नयणजय सिरि संथउ फाडेई । बोरीयावडिकांचुलिय पुण उरमंडलि ताडेइ ॥ १३ ॥ कन्नजुयल जसु लहलहंत किर मयणहिंडोला । चंचल चपल तरंगचंग जसु नयणकचोला। सोहह जासु कपोलपालि जणु गालिमसूरा । कोमल विमलु सुकंठु जासु वाजइ संखतूरा ॥ १४ ॥ लवणिमरसभरकूवडिय जसु नाहि य रेहइ । मयणराय किर विजयखंभ जसु ऊरू सोहह । जसु नहपल्लव कामदेवअंकुस जिम राजइ । रिमिझिमि रिमिझिमि ए पायकमलि घायरिंय सुवाजह ॥१५॥ नवजोवनविलसंतदेह नवनेहगहिल्ली । परिमललहरिहि मयमयंत रइकेलिपहिल्ली । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003980
Book TitlePrachin Gurjar Kavyasangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC D Dalal
PublisherCentral Library
Publication Year1920
Total Pages172
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy