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________________ समरारासु दीठउ वेणिवच्छराजमंदिरु ए मेदनीउरि धरिङ । अपूरवु पेषि संघु उत्तारिक ए पहली तडि समुदला ए ॥ ५ ॥ द्वादशी भाषा-अजाहरवरतीरथिहिं पणमिउ पासजिनिंदो । पूज प्रभावन तहिं करहिं अजिउ ए अजिउ ए अजिउ सफल सुछंदो ॥ १ ॥ गामागरपुरवोलितो वलिउ सेतुजि संपत्तो । आदिपुरीपाजह चडिऊ ए वंदिऊ ए वंदिऊ ए वंदिऊ ए मरुदेविपूतो ॥ २ ॥ अगरि कपूरिहिं चंदणिहि मृगमदि मंडणुकीय । कसमीराकुंकुमरसिहिं अंगिहिं ए अंगिहिं ए अंगो अंगि रचीय । जाइबल विहसेवत्रिय पूजिसु नाभिमल्हारो । मणुयजनमुफलु पामिऊ ए भरियऊ ए भरियऊ ए भरियऊ सुकृतभंडारो ॥३॥ सोह्ग ऊपर मंजरिय बीजी य सेत्रुजि उधारि । "ठिय ए समरऊ ए समरऊ ए समरु आविउ गुजरात । पिपलालीय लोलियणे पुरे राजलोकु रंजेई | छडे पयाणे संचरए राणपुरे राणपुरे राणपुरे पहुचेई ॥ ४ ॥ वढवाणि न विलंबु किउ जिमिउ करीरे गामि । मंडल होईउ पाडलए नमियऊ एनमियऊ ए नमियऊ नेमि सु जीवतसामि । संखेसर सफलीयकरणु पूजिउ पासजिनिंदो । ------ ३७ सहजसाहु तहिं हरषियउ ए देषिक ए देषिक ए देषि फणिमणिवृंदो ॥ ५॥ डुंगरि डर न खोहि खलिउ गलिउ नं गिरवरि गव्वो । संधु सुहेल आणिउ ए संघपती ए संघपती ए संघपतिपरिहिं अपुव्वो ॥ ६ ॥ सज्जण सज्जण मिलीय तहिं अंगिहिं अंगु लियंते । मनु विहसइ ऊलटु घणउ ए तोडरू ए तोडरू ए तोडरु कंठि ठवंते ॥ ७ ॥ मंत्रिपुत्रह मीरह मिलिय अनु ववहारियसार । संघपति संघु वधावियउ कंठिहिं ए कंठिहिं ए कंठिहि घालिय जयमाल । तुरियघाटतरवरि य तहिं समरउ करइ प्रवेसु । अणहिलपुर वडामणउ ए अभिनवु ए अभिनवु ए अभिनवु पुन्ननिवासो ॥८॥ संवच्छर इक्कहत्तरए थापिउ रिसहजिणिंदो । चैत्रवदि सातमि पहुत घरे नंदऊ ए नंदऊ ए नंदऊ जा रविचंदो ॥ ९॥ पासडसूरिहिं गणहरह नेऊअगच्छनिवासो । तसु सीसिहिं अंबदेवसूरिहिं रचियऊ ए रचियऊ ए रचियऊ समरारासो । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003980
Book TitlePrachin Gurjar Kavyasangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC D Dalal
PublisherCentral Library
Publication Year1920
Total Pages172
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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