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पृथ्वीचन्द्रचरित्र सिउ विनोद नीपजाव्या पछइ लानमजनादिक प्रभातकरणीय कीधुं, याचकरहइ दान दीघउं । ति वारें गणनायक दण्डनायक पायक वृत्तिनायक वहीवाहक तलवर माडम्बिक कौटुंबिक इन्द्रजाली फूलमाली धातुर्वादी मन्त्रवादी तन्त्रवादी यन्त्रवादी कपटाइत चपटाइत अगरक्षक अङ्गमर्दक मीठाबोला सुहाबोला कथाबोला साचाबोला जूठाबोला अनइ अनेक राजराजेश्वर मण्डलेश्वर सामन्त तंत्रपाल तलवर्ग चउरासीया महामात्य मन्त्रीश्वर श्रीगरणा वयगरणा धर्माधिगरणा सेनाधिपति आगरीया व्यवहारीया राजद्वारिक भण्डारी कोठारी कापडभण्डारी पूगभण्डारी रसोईया पाणहरी श्रेष्ठि सार्थवाह पीठमर्द वारवधू वीणकार वंशकार उतिकार आउजी पखाउजी पटाउजी आलवणकार लाक्षणिक तार्किक छान्दसिक मुखमाङ्गलिक वैद्य ज्योतिषी पाहरी षड्गधर कुन्तधर धनुर्धर छत्रधर बालकहार सेजपाल थईयात पण्डित कवि लेखक योघ महायोघ माल मसाहणी पाण्डव पउतारप्रमुखसकललोकि करी सश्रीक राजा राजसभां बईठा।
राजसभा किसी छइ । जीणि राजसभां कुंकुमजलि छटा दीधी छइ, विविधमुक्ताफलि चतुष्क पूरिया छइं, कर्पूरतणा शंख आलिष्या छई, कृष्णागरजबाधितणा परिमल महमहई छई, मोतीतणी सिरि लहलहइंछई, फूलपगर भरिया छइं, कटीप्रमाणपायपीठसंयुक्त पुरुषप्रमाण सुवर्णमय सिंहासन मांडिउं छई। तीणि सिंहासणि राजा बइठा । किसउ राजा दीसइ छइ, मस्तकि श्वेतातपत्र छइ; पासई ढलइं चामर पवित्र, वाजई विचित्र वादिन; मस्तकि मुगट, कानि कुण्डल, हृद्वि हाराईहार, महाउदार, धनदतणउ अवतार, रुपतणु भण्डार । घणउं किसिउं कहीयइ । जिसउ पृथ्वीलोकतणउ इन्द्र, जिसउ सोलकलासम्पूर्ण चन्द्र, इसउ दीसइ छइ पृथ्वीचन्द्र नरेन्द्र । तिसिइ अवसरि प्रतीहार आविउ प्रणाम नीपजाविउ । राजांसाह्मी दृष्टि दीधी, ऊणि वीनती कीधी; जी अयोध्यानगरीहूंतउ दूत तम्हारइ द्वारांतरि आविउ मनितणइं उत्साहि, जइ हुइ आदेस तु मेल्हउं माहि । हूउ राजातणउ आदेस, दूति कीधउ सभामाहि प्रवेस । रायरहइ कीधउ जुहार, अलंकरिउं योग्य आसण उदार । राजा दूतरहइ बहुमान दीधउं, कुशल प्रश्न कीधउं । आनन्द ऊपनउ अत्यन्त, हिव दूत वीनवइ कार्य विशेष चन्त । जिहां लोकरहइं नही किसिउ क्लेश, जिहा नही वइरीतणउ प्रवेश, पुण्यतणउ निवेश; अनेक ग्रामनगर, सोनारूपातणा आगर; मनोहर छइ कोसलादेस ।
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