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अध्याय तेरहवां । गुमानजी धर्मशाळा'ज छे, जे रुप्या सवा लाखना खरचे एवी तो उत्तम सगवड अने व्यवस्थावाळी बंधावी छे के दरेक यात्रीने तेमां घर करतां पण वधु सगवड मळे छे, तेम तेमां लेक्चर हॉल बांधेलो होवाथी व्य रूपानभूवन माटे पण आ हीराबाग जगनाहेर थई गयो छे. आखी हिंदु कोम माटेनी आ मखावत कई जेवी तेवी नथी अने तेनुं अनुकरण बीना श्रीमानोए करवानुं छे.
कुल सखावत. __दानवीर शेठ माणकचंदजीए विद्यादान. आहाग्दान, अभयदान अने औषधदान माटे करेली सखावतोनो आंकडो रु. ८ थी १० लाखनो थवा जाय छे के जेवं महान गंजावर दान समग्र जैनोमां आज सुधीमां कोईए कर्यु होय, तो ते आ शेठज करी गया छे अने तेनो घडो आखी जैन कोमे लेवानो छे. लाखोपतिओ अने करोडपतिओनो जैनोमा टोटो नथी, पण आवा महान दानीओ. नोज टोटो छे, ते ज्यारे पुराय त्यारे एक समय एवो आवे के जैन कोम दुनीयाना बधा धर्मोमां सर्वोपरी गणाय.
स्मारक फंडनी स्थापना. __दुनियामां ज्यारे कोई वीरनानो वियोग थाय छे त्यारे तेनुं नाम अने कीर्ति अमर राखवाने तेना नामना स्मारक फंडो थाय हे एटले के ते महान नरनी यादगीरी हमेश कायम राखवाने एक फंड ( मोटी टीप ) भराववामां आवे छे अने पछी जे रकम थाय ते स्थायी राखी तेनी उपनमाथी ते वीरनरना नामनी एक अथवा वधु संस्थाओ खोलवामां आवे छे, तेमन तेना गुणो अहर्निश याद आवे ते माटे ते पुरुषना बावलांओ स्थळे स्थळे उभा करवामां आवे
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