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________________ ८२४ ] अध्याय तेरहवां । (सुप्रसिद्ध कार्यो) बोर्डिंग ने हीराबाग, मुंबाइमां भावे को, जुबेली, मंदीर, श्राविकाश्रम ज्यां शोभतां; चंदावाड़ी सुरतमां, कन्याशाळा, पाठशाळा, कोल्हापुर, काशी, उदेपूर मांही ओपतां; “ राजनगर " बोर्डिंगने, दवाशाळा, धर्मशाळा, पक्षपात वीण नरनारी, बहु शोभतां; कथे हाथीचंद्र जैन, जातिना मुगटमणी, __ रुदन करे छे हिंद, वियोगना तापथी. कंकर समान द्रव्य, लक्ष दश दीधा दाने, हिंदना हाकेमोमां, प्रसिद्धी बहु पामीया; मारवाड, मेवाड ने गुर्जर, दक्षिण देशे, कोन्फरन्स सभामांही, जाणे झट आवीआ; पाठशाळा, ज्ञानशाळा, भूवन ने आश्रमोमां, लक्ष्मिनु देई दान, सज्जनोने भावीआ; कथे हाथीचंद्र मारा, तुरंगोने आपी मान, ___ हठीसंघ कही मने, प्रेमथी बोलावता. जैनोना प्रमुख प्यारा, बोर्डिगोना पिता व्हाला, कमिटी मीटींग मांहे, क्यारे हवे आवशो ? कुधाराओ तोडवाने, सुधाराओ जोडवाने, केशरी समान फरी, क्यारे शीख आपशो; धर्म, अर्थ, काम माट, धारी कर्या घाटठाठ, स्वर्गे सीधाव्या नाथ, असार संसारथी; ४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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